The Constitution (One Hundred And First Amendment) Act 2016 LLB Law
The Constitution (One Hundred And First Amendment) Act 2016 LLB Law:- LLB Low The Constitution of Indian As Amended by The Constitution (One Hundred and First Amendment) Act 2016, The Constitution of India Study Material Notes Question Answer Previous Year Sample Mock Test Paper for LLB All Semester This Book.
संविधान (एक सौ एकवां संशोथन) अथनियम, 2016
भारत के संविधान का और संशोधन करने क लिए अधिनियम /
- संभिप्त नाम और प्रांरभ. – (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम संविधान ( एक सौ एक संशोधन ) अधिनीयम, 2016 हैं ।
(2) यह उस तारीख को प्रव्रत्त होगा जो केन्द्रीय सरकार. राजपत्र में अधिसूचना द्वारा, नियमित करे और इस अधिनियम के भिन्न – भिन्न उपबंधों के लिए भिन्न भिन्न तारीखें नियत की जा सकेंगी और ऐसे किसी उपबंध में इस अधिनियम के प्रारंभ प्रति निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएका कि वह उस उपबंध के प्रारंभ होने के प्रति निर्देश है ।
अधिसूचनाएं
वित मंत्रालय (राजस्व विभाग ) अधिसूचना क्रामांक का. आ. 2915 (अ) दिनांक 10 सितम्बर. 2016.- संविधान (एक सौ एकवां संशोधन) अधिनियम. 2016 की धारा 1 की उपधारा (2) के तहत प्रदत शक्तयों का प्रयोग करते हुए केन्द्र सरकार. एतदद्वारा. 16 सितम्बर 2016 को उस तारीख के रूप में नियत करती है जिस तारीख से उक्त अधिनियम की धारा 1. 2. 3. 4. 5. 6. 7. 8. 9. 10. 11. 13. 14. 15. 16. 17. 18. 19 और 20 के उपबंध प्रवर्तित होंगे
- नए अनुच्छेद 246 क का अंत.स्थापन.- संविधा के अनुच्छेद 246 के पश्चात् निम्नलिखित अनुच्छेद अंत. स्थापित किया जाएगा, अर्थात
‘’246 क. माल और सेवा कर के संबंध में विशेष उपबंध.- (1) अनुच्छेद 246 और अनुच्छेद 254 में किसी बात के होते हुए भी संसद् को और खंड (2) के अधिन रहते हुए प्रत्येक राज्य के विधान मंडल को. संघ द्वारा या उस राज्य द्वारा अधिरोपित माल और सेवा कर के संबंध में विधियां बनाने की शक्ति होगी।
(2) जहां माल का य. सेवाओं का अथवा दोनों का प्रदाय अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में होता हे वहाण संसद् को. माल और सेवा कर केसंबंध में विधियाँ बपनाने की अनन्. शक्ति प्राप्त है।
स्पष्टीकरण.- इस अनिच्छेद के उपबंध, अनुच्छेद 279 क के खंड (5) में निर्दिष्ट माल
और सेवा कर के संबंध में, माल और सेवा कर परिषद् द्वारा सिफारिश की गई तारीख से प्रभावी होंगे।‘’।
- अनुच्छेद 248 का संशोधन.- संविधाम के अनुच्छेद 248 के खंड (1) में ‘’ संसद्’’ शब्द स्थान पर ‘’ अनुच्छेद 249 के अधीन. रहते हुए. संसद्’’ शब्द अंक और अक्षर रखे जाएंगे।
- अनुच्छेद 249 का संशोधन.– संविधान के अनुच्छेद 249 के खंड (1) में ‘’समीचीन हे कि संसद्’’ शब्दो के पश्चात् अनुच्छेद 249 क के अधीन उपबंधित माल ओर सेवा कर या अंक ओर अक्षर अंत: स्थापित किए जाएंगे।
- राष्ट्रपति की स्वीक्रति दिनांक 8 सितम्बर. 2016 को प्राप्त हुई ; अधिनियम का अंग्रेजी पाठ भारत का राजपत्र ( असाधारण) भाग 2 खण्ड 1 दिनाक 8-9-2016 प्रष्ठ 1-6 पर प्रकाशित।
- भारत क् राजपत्र (असाधारण) भाग !! खण्ड 3 (;;) दिनांक 10-9-2016 प्रष्ठ 1 पर प्रकाशित ।
- भारत का राजपत्र (असाधारण) भाग !! खण्ड 3 (;;) दिनांक 16-9-2016 प्रष्ठ 1 पर प्रकाशित।
- अनुच्छेद 250 का संशोधन.- संविधान के अनुच्छेद 250 के खंड (1) में. “शब्दो के पश्चात् “अनुच्छेद 246 क के अधीन उपबमधित माव यया सेवा कर या शब्द. अंक ओर अक्षर अंत: स्थापित किए जाएगे।
- अनुच्झेद 268 का संशोधन- संविधान के अनुच्छेद 268 के खंट (1) में. “ तथा औषधीय और प्रसाधम निर्मितयों पर ऐसे उत्पाद-शुल्क शब्दो को लोप किया जाएगा।
- अनुच्छेद 268क का लोप.– संविधाम के अनुच्छेद 268 क. जो संविधाम ( अठासीवां संशोधन ) अधिनियम, 2003 की धारा 2 द्वारा अंत: स्थापित किया गया है, का लोप कि. जायेगा
- अनुच्छेद 269 का संशोधन.- संविधान के अनुच्छेद 269 के खंड (1) में, “(1) माल के क्रय” कोष्ठकों. अंक और शब्दो के स्थान पर “(1) अनुच्छेद 269क में यथा उपबंधित के सिवाय, माल के क्रय कोष्ठक, अंक, शब्द और अक्षर रखे जाएगे।
- नए अनुच्छेद 269क का अतं:स्थापन.- संविधान के अनुच्छेद 269 के पश्चात् निम्नलिखित अनुच्छेद अंत। स्थापित किया जाएगा, अर्थात्.-
269क. अन्तररज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में माल और सेवा कर का उद्ग्रहण और संग्रहण.- (1) अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में प्रदाय पर माव और सेवा कर भारत रकार द्वारा द्गहीत और संग्रहीत किया जाएगा तथा ऐसा कर उस रीती में, जो संसद् द्वारा, विधि द्वारा माल और सेवा कर परिषद की सिफारिशों पर ऴपबंधित किया जाएं, सघ और र्जाचों के बी प्रभाजित किया जाएगा ।
(2) खंड (1) के अधीन किसी राज्य को प्रभाजित रकम भारकॉत क संचित नीधि का भाग हीं होगी।
(3) जहां खंड (1) के अधीन उद्ग्रहीत कर के रूप में संग्रहीत रकम का उपयोग अनुच्छेद 246 के अधीन कीसी राज्य द्वारा उदक्रहीत कर का संदाय करन के लिए किया गया है. वहां ऐसी रकम भारत की स चित निधि का भाक नहीं होगी।
(4) जहां अनुच्छेद 246क के अधीन कीसी राज्य द्वारा उद्गहीत कर के रुप मे संग्रहीत रकम का उपयोग खंड (1) के अधीन उदग्रहीत कर का संदाय करने के लिए किया गया है, वहां ऐसी रकम राज्च की संचित निधि का भाग नहीं होगी।
(5) संसद्, विधि द्वारा , प्रादय के स्थान और इस बात का कि माव का या सेवाओं का आधवा दोनों का प्रदाय अन्तरराज्यिक व्यापार या वमिज्य के अनुक्रम कब होता है, अवधारम करने समबमदी सिध्दांत विरचित कर सकेगीन।“।
- अनुच्छेद 270 का संशोधन.-संविधान के अनुच्छेद 270 में,-
(;) खंड (1) में, “ अनुच्छेद 268 अनुच्छेद 268क और अनुच्छेद 269 शब्दों, अंकों और अक्षर के स्थान पर, अनुच्छेद 268, अनुच्छेद 269 और अनुच्छेद 269क शब्द, अंक और अक्षर रखे जाएंगे,
(;;) खड़ (1) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अंत: स्थापित किए जाएंके, अर्थात्:-
(1क) अनुच्छेद 246क के खं (1) के अधीन संघ द्वारा संग्रहीत कर भी, संघ और राज्यों के बीच खंड (2) में उपबंधित रीती में वितरित किया जाएगा।
(1ख) अनुच्छेद 246 के खंड (2) और अनुच्छेद 269क के अधीन संघ द्वारा उद्ग्रहीत और संग्रहीत ऐसा कर जिसका उपयोग अनुच्छेद 246 के खंड
- के अधीन संघ द्वारा उद्ग्रहीत कर का संदाय करने के लिए किया गया है, और अनुच्छेद 269क के खंड (1) के अधीन संघ को प्रभाजित रकम भी, संघ और राज्यों के बीज खंड (2) में उपबंधित रीति में वितरित की जाएगी।“।
- अनुच्छेद 271 का संशोधन.- संविधान के अनुच्छेद 271 में “ में से किसी में शब्दों के पश्चात् “ अनुच्छेद 246क के अधीन माल और सेवा कर के सनवाय.” शब्द. अंक और अक्षर अंत: स्थापित किए जाएगे।
- नए अनुच्छेत 279क माल और सेवा कर परिषद्.- संविधान के अनुच्छेद 279 के पश्चात् निम्नलिखित अनुच्छेद अंत:स्थापित किया जायेका. अर्थात्:-
279क. माल और सेवा कर परिषद्.- (1) राष्ट्रपति, सविंधान ( एक सौ एकवां संशोधन) अधिनियम, 2016 के प्रारंभ की तारिख से साट दिन के भीतर, आदेश द्वारा, माल और सेवा कर परिषद् के नाम से ज्ञात एक परिषद् का गठन करेका।
- माल और सेवा करर परिषद् निम्नलिखित सद्स्यों से मिलकर बनेगी, अर्थात्”,
- संघ का वित्त मंत्री – अध्यक्ष,
- संघ का भारसाधक राजस्व या वित राज्यस्व या वित्त राज्यमंत्री- स्दस्,
- प्रत्येक राज्य सरकार द्वारा नामनिर्दष्ट वित्त या कराधान का भारसाधक मंत्री या कोई अन्य मंत्री- स्दस्य।
- खंड (2) के उपखंड (ग) में निर्दिष्ट माल और सेवा कर परिषद् के सदस्य, यथाशीघ्र अपने में से एक सदस्य को ऐसी अवधि के लिए, जो वे विनिश्चित करें, रिषद् का उपाध्यक्ष चुनेंगे।
- माल और सेवा कर परिषद्. निम्नलिखित के संबंध में संघ और र्जायों को सिफारिशें करेगी-
- संघ, राज्यों और स्थानीय निकायों दावारा उद्ग्रहीत कर , उपक र अधभार, जो माल और सेव कर में सम्मलित किए जाएंगे,
- माल औकर सेवाएं जो माल और सेवा कर के अध्यधीन हो सकेंगी या जिन्हें माव और सेवा कर से छूट प्राप्त हो सकेगी,
- आदर्श माव और सेवा कर विधियां, अनुच्छेद 269क के अधीन अन्तरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्म में प्रदाय माल पर उद्क्रहीत माल और सेवा कर के उद्क्रहण, प्रभाजन के सिध्दान्त तथा वे , सिध्दान्त जो प्रदाय के स्थाम को शासित करते हैं,
- आवर्त की वह अवसीमा जिसके नीचे माल और सेवाओं को माल और वा कर से छुट प्रदान की जा सकेगी,
- माल और सेवा कर के समूहों के साथ दरें जिनके अंतर्गत न्यूनतम दरें भी हैं,
- किसी प्राक्रतिक विपति या आपदा के दौरान अतिरिक्त संसाधन जुटाने के लिए कीस विनिर्दष्ट अवधि के लिए कोई विशेष दर या दरें,
- अरुपणाचल प्रदेश, असम, जम्मू-कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड राज्यो के संबंध में विशेष उपबंध, और
- माल और सेवा कर से संबंधित कोई अन्य विषय, जो परिषद् द्वारा विनिश्चित किया जाए।
(5) माल और सेवा कर परिषद् उस तारीख की सिफारिश करेकी जिसको अपरिष्क्रत पेट्रोलियम, उच्च कित डीजल, मोटर स्पिरिट (सामान्यतया पेर्टोल के रूप में ज्ञात),प्राक्रतिक गैस और विमानन टरबाइन ईंधम पर माव और सेवा कप उदद्हीत किया जाएगा।
(6) इस अनुच्छेद द्वारा प्रदत्त क्रत्यों का निवर्हन करते समय, माल और सेवा कर परिषद् माव और सेवा कर की सामंजस्यपूर्ण संरचनमा और माव और सेवाओं के लिए सुव्यव्स्थित राष्ट्रीय बाजार के विकास की आवश्यकता द्वार मार्गदर्शित होगी।
(7) माल और सेवा कर परिषद् की, उसीक बैठकों में गणपूर्ती परिषद् के कुल सदस्यों के आधे सदस्यों से मिलकर होगी।
(8) माल और सेवा कर परिषद् अपने क्रत्वों के पालन के लिए प्रक्रिया अवधारित करेगी।
(9) माल और सेवा कर परिषद् का प्रत्येक विनिश्चय उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के अधिमान्राप्त मतों के कम से कम तीन- चौथाई के बहुमत द्वारा बैठक में निम्नलिखित सिध्दान्तों के अनुसार किया जाएगा, अर्थात्:-
(क) केन्द्रीय सरकार के मत को डाले गए कुल मतों के एक-तिहाई का अधिमान प्राप्त होगा, और
(ख) सभी राय सरकारों के मतों को एक साथ लेने पर उस बैठक में डाले गए कुल मोतं के दो-तीहाई का अधिमान पाराप्त होगा।
(10) माल और सेवा कर परिषद् का कोई भी ककार्य या कार्यवाहियां केवल इस कारण से अविधिमान्य नहीम होंगी कि-
(क) परिषद् में कोई रिक्ति है या उसके गंठन में कोई त्रुटि है, या
(ख) परिषद् के किसी सदस्य के रूप में किसी व्यक्ति की नियुक्ति में कोई त्रुटि है, या
(ग) परिषद् की प्रक्रिया में कोई अनियमितता है जो मामले के गुणावगुण को प्रभावित नहीं करती है।
(11) माव और सेवा कर परिषद्,-
(क) भारत सरकार और एक या अधिक राज्यों के बीच, या
(ख) एक ओर भारत सरकार और किसी राज्य या राज्यों तथा दूसरी ओर एक या अधिक अन्य राज्यों के बीच, या
(ग) दो या अधिक राज्यों के बीच,
परिषद् की सिफारिशों या उनके कार्यान्वयन से उध्द्त किसी विवाद के न्यायनिर्णयन के लिए एक तंत्र की स्थापना करेगी।“।
(13)
अनुच्छेद 286 का संशोधन.- संविधान के अनुच्छेद 286 में,-
(;) खंड (1) में,-
- “माव के क्रय या विक्रय पर, जहां ऐसा क्रय या विक्रय” शब्दों के स्थान पर “माल का या सेवाओं का या दोनों का प्रदाय, जहां ऐसा प्रदाय” शब्द रखे जाएंगे,
- उपंखंड (ख) में, “माल के आयात या उसके” शब्दो के स्थान पर, माल के या सेवाओं के या दोनों का प्रदाय, जगां ऐसा प्रदाय शब्द रखे जाएंगे,
(;;) खंड (2) में, “माल का क्रय या विक्रय” शब्दों के स्थान पर “माल का या सेवाओं का या दोनो का प्रदाय” शब्द रखे जाएंगे,
(;;;) खंड (3) का लोप किया जाएगा।
- अनुच्छेद 366 का संशोधनं.- संविधान के अनुच्छेद 366 में,-
(;) खंड (12) के पश्चात निम्नलिखित खंड अंत:स्थापित किया जाएंगा, अर्थात्:-
‘(12क) “माल और सेवा कर” से मानवीय उपभोग के लिए एल्कोहावी लिकर के प्रदाय पर कर के सिवाय माल या सेवाओं अथवा दोनों के प्रदाय पर कोई कर अभिप्रेत है,”,
(;;) खंड (26) के पश्चात् निम्नलिखित खंड अत:स्थापित किए जाएंगे, अर्थात्:-
(26क) “सेवाओं” से माल से भिन्न कुछ भी अभिप्रेत है,
(26ख) “राज्य” के अंतर्गत, अनुच्छेद 246 का, अनुच्छेद 268, अनुच्छेद 269, अनुच्छेद 269क और अनुच्छे 279क संदर्भ में, विधमान- मंडल सहित कोई संघ राज्यक्षेत्र भी आता है,।
- अनुच्छेद 368 का संशोधन.- संविधान के अनुच्छेद 368 के खंड (2) के परंतुक के खंड (क) में, “अनुच्छेद 162 या अनुच्छेद 241 शब्दों और अंगों के स्थान पर, “अनुच्छेद 162, अनुच्छेद 241 या अनुच्छेद 279क “शब्द, अंक और अक्षर रखे जाएंगे।
- छठी अनुसूची का संशोधन.-संविधान की छठी अनुसीची के पैरा 8 के उपपैरा (3) में,-
(;) खंड (ग) के अंत में आने वाले “और” शब्द का लोप किया जाएगा,
(;;) खंड (घ) के अंत में, “और” शब्द अंत. स्थापित किया जाएगा,
(;;;) खंड (घ) के पश्चात्, निम्नलिखित खंड अंत:स्थापित किया जाएका, अर्थात्”-
“(ड़) मनोरंजन और आमोद-प्रमोद पर कर,”।
- सातवीं, अनुसूची का संशोधन.- संविधान की सातवीं अनुसूची में,-
(क) सूची 1-संघ सूची में,-
(;) प्रविष्टि 84 के स्थान पर, निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात्:-
“84. भारत में विनिर्मित या उत्पादित निम्नविखित माल पर उत्पाद शुल्क,-
- अपरिष्क्रत पैट्रोलियम,
- उच्च कति डीजल,
- मोटर स्पिरिट ( सामान्य रूप से पेट्रोल के रुप में ज्ञात):
- प्राक्रतिक गैस,
- विमानन टर्बाईन ईंधन, और
- तंबाकू और तंबाकू उत्पाद।“;
(;;) प्रविष्टि 92 और प्रविष्टि 92ग का लोप किया जाएगा,
(ख) सूची 2- राज्य सूची में,-
(;) प्रविष्टि 52 का लोप किया जाएगा,
(;;) प्रविष्टि 54 के स्थान पर, निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात्:,
“54. अपरिष्क्रत पैट्रोलियम, उच्च कति डीजल, मोटर स्पिरिट (सामान्य रूप से पैट्रोल के रूप में ज्ञात) प्राक्तिक गैस, विमान टर्बांइन ईंधन और मानवीय उपभोक के लिए एल्कोहाली लिकर के विक्रय पर कर किंतु इसके अंतर्गत ऐसे माल का अन्तरारिज्यक व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में विक्रय या अन्तराराष्ट्रीय व्यापार या वाणिज्य के दौरान विक्रय नहीं आता है।“,
(;;;) प्रविष्टि 55 का लोप किया जाएगा,
(;v) प्रविष्टि 62 के स्थान पर, निम्नलिखित प्रविष्टि रखी जाएगी, अर्थात्:-
“62. मनोरंजन और आमोद-प्रमोद पर उस सीमा तक कर कजो कीस पंचायत या किसी नकरपालिका या किसी प्रादेशिक परिषद् या किसी जिला परिषद् द्वारा उद्ग्रहीत और संग्रहीत किया जाए।“।
- माल और सेवा कर के आरंभ किए जाने के कराण राज्यों को राजस्व की हानि के लिए प्रतिकर- संसद विधि द्वारा, माल और सेवा कर परिषद् की सिफारिश पर, माल औरसेवा कर के क्र्यन्वयन के कारण उद्भूत राजस्व की हान के लिए राज्यों को पांच वर्ष की अवधि तक प्रतिकर प्रदान करेगी।
- संक्रमणकालीन उपबंध.- इस अधिनियम में कततितसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के प्रारंभ के ठीक पूर्व की राज्य में प्रव्रत्त माल या सेवाओं या दोनो पर कर से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध, जो इस अधिनियम् द्वारा यथा संशोधित संविधान के उपबंधों से असंगत है तब तक जब तक कि किसी सक्षम विधान-मंडल या अन्य समक्ष प्राधिकारी द्वारा उसका संशोधन या लोप नहीं किया जाता है या जह तक कि ऐसे प्रारंभ से एक वर्ष का अवसान नहीं हो जाता, इनमें जो भी पहले हो, प्रव्रत्त बना रहेगा।
- कठिनाइयों को दूर करने की शक्ति.- (1)यदि इस अधिनियम द्वारा यथा शोधित संविधान के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाईं उत्पन्न होती है (जिसके अन्तर्गत इस अधिनियम को राष्ट्रपति की स्वीक्रति की तारीख से ठीक पूर्व यथा विधमान संविधान के उपबंधों से इस अधिनियम द्वारा यथा संशोधित संविधान के उपबंधों में संक्र्मण से संबंधित कोई कठिनाई भी है),राष्ट्रपति, आदेश द्वारा ऐसे उपबंध, जिसके अन्तर्गत इस अधिनियम द्वारा संशोधित संविधान के किसी उपबंध या विधि का कोई अनुकूलन या उपातंरण भी है, जो राष्ट्रपति कठिनाई को दूर करने केप्रयोन के लिए आवश्यक या समीचीन प्रतीत हो, करक सकेगा:
परन्तु ऐसी स्वीकृति की तारीख से तीन वर्ष के अवसान के पश्चात ऐसा कोई आदेश नही किया जायेगा |
(२) उपधारा (१) के अधीन किया गे प्रत्येक आदेश, किये जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के पत्येक सदन के समक्ष रखा जायेगा |
Follow me at social plate Form
|
 |
 |
 |
 |