The Constitution of India The Co-Operative Societies LLB Law
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भाग 9 ख (Part IX B)
सहकारी सोसाइटियां (The CO-Operative Societies)
243यज. परिभाषाएं.-इस भाग में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
(क) “प्राधिकृत व्यक्ति” से अनुच्छेद 243यथ में उस रूप में निर्दिष्ट कोई व्यक्ति अभिप्रेत है;
(ख) “बोर्ड” से किसी सहकारी सोसाइटी का निदेशक बोर्ड या शासी निकाय, चाहे किसी भी नाम से ज्ञात हो, जिसको किसी सोसाइटी के कार्यकलापों के प्रबंध का निदेशन और नियंत्रण सौंपा गया हो, अभिप्रेत है; ।
(ग) ‘‘सहकारी सोसाइटी” से ऐसी सोसाइटी अभिप्रेत है, जो किसी राज्य में तत्समय प्रवृत्त सहकारी सोसाइटियों से संबंधित किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत है या रजिस्ट्रीकृत समझी गई है; “बहुराज्य सहकारी सोसाइटी” से ऐसी सोसाइटी अभिप्रेत है, जिसके उद्देश्य एक राज्य तक सीमित नहीं हैं और जो ऐसी सहकारी सोसाइटियों से संबंधित तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन रजिस्ट्रीकृत है या रजिस्ट्रीकृत समझी गई हैं; ।
(घ) बहु पदाधिकारी से किसी सहकारी सोसाइटी का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सभापति, उपसभापति, सचिव या कोषाध्यक्ष अभिप्रेत है और जिनमें किसी सहकारी सोसाइटी के पाड द्वारा निर्वाचित किया जाने वाला कोई अन्य व्यक्ति भी सम्मिलित है; राजस्ट्रार” से बहुराज्य सहकारी सोसाइटियों के संबंध में केन्द्रीय सरकार द्वारा नियुक्त “त्रय राजस्ट्रार और सहकारी सोसाइटियों के संबंध में किसी राज्य के विधान-मंडल 5 बनाई गई विधि के अधीन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त सहकारी सोसाइटियों का रजिस्ट्रार अभिप्रेत है; भ्य अधिनियम” से किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई कोई विधि अभिप्रेत
(छ) * स्तरीय सहकारी सोसाइटी’ से ऐसी सहकारी सोसाइटी अभिप्रेत है, जिसका ‘भ्य पर विस्तारित अपना प्रचालन क्षेत्र है और जिसको किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि में उस रूप में परिभाषित किया गया है।
- संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2011 अधिनियम, 2011 की धारा 4 द्वारा (15-2-2012 से) अंत:स्थापित।।
243 यझ. सोसायटी का निगमन.-इस भाग के उपबंधों के अधीन रहते हुए, किसी राज्य वधि द्वारा, स्वैच्छिक विरचना, लोकतांत्रिक सदस्य-नियंत्रण, सदस्य-आर्थिक भागीदारी ण के सिद्धांतों पर आधारित सहकारी सोसाइटियों के निगमन, विनियमन और अनुच्छेद
243यञ. बोर्ड के सदस्यों और उस के सदस्यों और उसके पदाधिकारियों की संख्या और पदावधि.-(1) बोर्ड में में निदेशक होंगे, जितने राज्य विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, उपबंधित किए जाएं : उतनी संख्या में निदेशक होंगे, जितने राज्य चहकारी सोसाइटी के निदेशकों की अधिकतम संख्या इक्कीस से अधिक नहीं होगी : यह और कि किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, ऐसी प्रत्येक सहकारी सोसाइटी के बोर्ड में जो सदस्यों के रूप में व्यष्ट्रियों से नियमोके रूप में व्यष्टियों से मिलकर बनी हो और उसमें अनुसूचित जातियों या अनुसूचित अथवा स्त्रियों के वर्ग या प्रवर्ग से सदस्य हों, एक स्थान अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों और दो स्थान स्त्रियों के लिए आरक्षित करेगा।
बोर्ड के निर्वाचित सदस्यों तथा उसके पदाधिकारियों की पदावधि, निर्वाचन की तारीख से पांच वर्ष की होगी और पदाधिकारियों को पदावधि बोर्ड की अवधि के साथ सहवासानी होगी :
न बोर्ड बोर्ड की आकस्मिक रिक्ति को नामनिर्देशन द्वारा उसी वर्ग के सदस्यों में से, जिसके संबंध ॐ आकस्मिक रिक्ति हुई है, भर सकेगा, यदि बोर्ड की पदावधि उसकी मूल पदावधि के आधे से कम है।
(3) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा ऐसी सोसाइटी के बोर्ड के सदस्यों के रूप में बैंककारी, प्रबंधन, वित्त के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले या सहकारी सोसाइटी के उद्देश्यों और उसके द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलाप से संबंधित किसी अन्य क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले बोर्ड के सदस्य होने वाले व्यक्तियों को सहयोजित करने के लिए, उपबंध कर सकेगा :
परंतु ऐसे सहयोजित सदस्य खंड (1) के पहले परंतुक में विनिर्दिष्ट इक्कीस निदेशकों के अतिरिक्त दो से अधिक नहीं होंगे : । परंतु यह और कि ऐसे सहयोजित सदस्यों को ऐसे सदस्य के रूप में उनकी हैसियत में सहकारी सोसाइटी के किसी निर्वाचन में मतदान करने का या बोर्ड के पदाधिकारियों के रूप में निर्वाचित होने के लिए पात्र होने का अधिकार नहीं होगा : |
परंतु यह भी कि किसी सहकारी सोसाइटी के कृत्यकारी निदेशक, बोर्ड के सदस्य भी होंगे और ऐसे सदस्यों को खंड (1) के पहले परंतुक में विनिर्दिष्ट कुल निदेशकों की कुल संख्या की गणना करने के प्रयोजन के लिए अपवर्जित किया जाएगा।
243यट. बोर्ड के सदस्यों का निर्वाचन.-(1) किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि में किसी बात के होते हुए भी, बोर्ड का निर्वाचन, बोर्ड की अवधि के अवसान से पूर्व संचालित किया ९, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि नव निर्वाचित बोर्ड के सदस्य, पदावरोही बोर्ड के सदस्यों की पदावधि के अवसान होते ही पद ग्रहण कर लें।
|2) किसी सहकारी सोसाइटी के सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावलियां तैयार करने का और वाचना के संचालन का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण, ऐसे प्राधिकारी या निकाय में, जो राज्य विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, उपबंधित किया जाए, निहित होगा :
प्रनत किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा ऐसे निर्वाचनों के संचालन के लिए प्रक्रिया और मार्गदर्शक सिद्धांतों का उपबंध कर सकेगा।
243 यठ. बोर्ड का अधिक्रमण और निलंबन तथा अन्तरिम प्रबंध.-(1) तत्समय प्रवृत्त किसा विधि में किसी बात के होते हुए भी कोई बोर्ड, छह मास से अधिक की अवधि के लिए अतिष्ठित नहीं। किया जाएगा या निलंबनाधीन नहीं रखा जाएगा :
परंतु बोर्ड को-
- उसके लगातार व्यतिक्रम की दशा में; या ।
- | अपने कर्तव्यों के अनुपालन में उपेक्षा करने की दशा में; या
- बोर्ड द्वारा सहकारी सोसाइटी या उसके सदस्यों के हितों के प्रतिकूल कोई कार्य करने की दशा में; या ।
- बोर्ड के गठन या उसके कत्यों में कोई गतिरोध उत्पन्न होने की दशा म; या
(v) राज्य विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, अनुच्छेद 243यट के खंड (2) के अधीन यथा उपबंधित प्राधिकारी या निकाय के राज्य अधिनियम के उपबंधों के अनुसार निर्वाचन | कराने में असफल रहने की दशा में, अतिष्ठित किया जा सकेगा या निलंबनाधीन रखा जा सकेगा :
परंतु यह और कि जहां कोई सरकारी शेयर धारण या सरकार द्वारा कोई उधार या वित्तीय सहायता या प्रत्याभूति नहीं है वहां ऐसी किसी सहकारी सोसाइटी के बोर्ड को अतिष्ठित नहीं किया जाएगा या । निलंबनाधीन नहीं रखा जाएगा :
परंतु यह भी कि बैंककारी कारबार करने वाली किसी सहकारी सोसाइटी की दशा में बैंककारी । विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) के उपबंध भी लागू होंगे :
परंतु यह भी कि बहुराज्य सहकारी सोसाइटी से भिन्न बैंककारी कारबार करने वाली किसी सहकारी । सोसाइटी की दशा में, इस खंड के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे मानो ‘‘छह मास” शब्दों के स्थान पर एक वर्ष” शब्द रखे गए थे। |
(2) बोर्ड के अधिक्रमण की दशा में, ऐसी सहकारी सोसाइटी के कार्यकलाप का प्रबंध करने के लिए। नियुक्त प्रशासक, खंड (1) में विनिर्दिष्ट अवधि के भीतर निर्वाचनों के संचालन के लिए व्यवस्था करेगा। और उसका प्रबंध निर्वाचित बोर्ड को सौंपेगा।
(3) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, प्रशासक की सेवा की शर्तों के लिए उपबंध कर । सकेगा।
243य सहकारी सोसाइटियों के लेखाओं की संपरीक्षा,—(1) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, सहकारी सोसाइटियों द्वारा लेखाओं के रखे जाने और ऐसे लेखाओं की प्रत्येक वित्तीय वर्ष में कम से कम एक बार संपरीक्षा किए जाने के संबंध में उपबंध कर सकेगा।
(2) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, ऐसे संपरीक्षकों और संपरीक्षा करने वाली ऐसी फर्मों की, जो सहकारी सोसाइटियों के लेखाओं की संपरीक्षा करने के लिए पात्र होंगी, न्यूनतम अर्हताएं और अनुभव अधिकथित करेगा।
| (3) प्रत्येक सहकारी सोसाइटी, सहकारी सोसाइटी के साधारण निकाय द्वारा नियुक्त, खंड (2) में नादष्ट किसा संपराक्षक या संपरीक्षा करने वाली फमों द्वारा संपरीक्षा करवाएगी :
| परंतु ऐसे संपरीक्षकों या संपरीक्षा करने वाली फर्मों को राज्य सरकार द्वारा या राज्य सरकार द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी प्राधिकारी द्वारा अनुमोदित पैनल में से नियुक्त किया जाएगा। | (4) प्रत्येक सहकारी सोसाइटी के लेखाओं की संपरीक्षा उस वित्तीय वर्ष की, जिससे लेखे संबंधित हैं, समाप्ति के छह मास के भीतर की जाएगी।
(5) राज्य अधिनियम द्वारा यथा परिभाषित किसी सर्वोच्च सहकारी सोसाइटी के लेखाओं की संपरीक्षा रिपोर्ट राज्य विधान-मंडल के समक्ष ऐसी रीति से रखी जाएगी जो राज्य विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा उपबंधित की जाए।
243यढ. साधारण निकाय की बैठक संयोजित करना.-किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, यह उपबंध कर सकेगा कि प्रत्येक सहकारी सोसाइटी के साधारण निकाय की वार्षिक बैठक, ऐसे कारबार का संव्यवहार करने के, जो ऐसी विधि में उपबंधित किया जाए, वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह मास की अवधि के भीतर, संयोजित की जाएगी। |
243यण, सूचना प्राप्त करने का सदस्य का अधिकार.-(1) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि । द्वारा, सहकारी सोसाइटी के प्रत्येक सदस्य की सहकारी सोसाइटी की ऐसी बहियों, सूचना और लेखाओं तक, जो ऐसे सदस्य के साथ उसके कारबार के नियमित संव्यवहार में रखे गए हों, पहुंच के लिए उपबंध कर सकेगा।
(2) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, सहकारी सोसाइटी के प्रबंधन में सदस्यों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, सदस्यों द्वारा बैठकों में उपस्थिति की ऐसी न्यूनतम अपेक्षा का उपबंध करते हुए और सेवाओं के ऐसे न्यूनतम स्तर का उपयोग करते हुए जो ऐसी विधि में उपबंध किया जाए, उपबंध कर सकेगा।
(3) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, अपने सदस्यों के लिए सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण का उपबंध कर सकेगा।
243यत, विवरणियां,- प्रत्येक सहकारी सोसाइटी, प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छह मास के । भीतर राज्य सरकार द्वारा अभिहित प्राधिकारी को ऐसी विवरणियां फाइल करेगी, जिनमें निम्नलिखित बातें। सम्मिलित होंगी, अर्थात् :
(क) उसके क्रियाकलाप की वार्षिक रिपोर्ट;
(ख) उसके लेखाओं का संपरीक्षित विवरण;
(ग) अधिशेष के व्ययन की योजना, जो सहकारी सोसाइटी के साधारण निकाय द्वारा यथा । अनुमोदित हो ।
(घ) सहकारी सोसाइटी की उपविधियों के संशोधनों, यदि कोई हों, की सूची;
(ड) उसके साधारण निकाय की बैठक आयोजित करने की तारीख और निर्वाचनों का, जब ।
नियत हों, संचालन करने के संबंध में घोषणा; और ।
(च) राज्य अधिनियम के किन्हीं उपबंधों के अनुसरण में रजिस्ट्रार द्वारा अपेक्षित कोई अन्य । जानकारी।
243यथ. अपराध और शास्तियां.-(1) किसी राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, सहकारी । सोसाइटियों से संबंधित अपराधों और ऐसे अपराधों के लिए शास्तियों से संबंधित उपबंध कर सकेगा।
(2) खंड (1) के अधीन किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि में निम्नलिखित कार्य करना या उसका लोप करना अपराध के रूप में सम्मिलित होगा, अर्थात् :
(क) कोई सहकारी सोसाइटी या उसका कोई अधिकारी या सदस्य जानबूझकर मिथ्या विवरणी बनाता है या मिथ्या जानकारी देता है अथवा कोई व्यक्ति जानबूझकर ऐसी जानकारी नहीं देता है, जो इस निमित्त राज्य अधिनियम के उपबंधों के अधीन प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा उससे अपेक्षित की गई हो;
(ख) कोई व्यक्ति जानबूझकर या किसी युक्तियुक्त कारण के बिना राज्य अधिनियम के उपबंधों के अधीन जारी किए गए किसी समन, अध्यपेक्षा या विधिपूर्ण लिखित आदेश की अवज्ञा करता है;
(ग) कोई नियोजक, जो पर्याप्त कारण के बिना, उसके द्वारा उसके कर्मचारी से काटी गई रकम का, उस तारीख से, जिसको ऐसी कटौती की गई है, चौदह दिन की अवधि के भीतर । सहकारी सोसाइटी को संदाय करने में असफल रहता है;
(घ) ऐसा कोई अधिकारी या अभिरक्षक, जो ऐसी किसी सहकारी सोसाइटी की, जिसका वह । अधिकारी या अभिरक्षक है, बहियों, लेखाओं, दस्तावेजों, अभिलेखों, रोकड़, प्रतिभूति या । अन्य संपत्ति की अभिरक्षा किसी प्राधिकृत व्यक्ति को सौंपने में असफल रहता है; और
(ङ) जो कोई बोर्ड के सदस्यों या पदाधिकारियों के निर्वाचन से पहले, उसके दौरान या पश्चात् कोई भ्रष्ट आचरण अपनाता है।
243यद. बहुराज्य सहकारी सोसाइटियों को लागू होना.-इस भाग के उपबंध, बहुराज्य सहकारी सोसाइटियों को इस उपांतरण के अधीन रहते हुए लागू होंगे कि “राज्य का विधान-मंडल”, “राज्य अधिनियम” या ‘‘राज्य सरकार” के प्रति किसी निर्देश का वही अर्थ लगाया जाएगा जो क्रमशः “संसद्’, “केन्द्रीय अधिनियम” या “केन्द्रीय सरकार” का है।
243यध. संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होना.-इस भाग के उपबंध, संघ राज्यक्षेत्रों को लागू होंगे और ऐसे संघ राज्यक्षेत्र को, जिसकी कोई विधान सभा नहीं है, उसी प्रकार लागू होंगे मानो किसी राज्य के विधान-मंडल के प्रतिनिर्देश, अनुच्छेद 239 के अधीन नियुक्त उसके प्रशासक के प्रति और ऐसे संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में, जिसकी कोई विधान सभा है, उस विधान सभा के प्रतिनिर्देश है :
परन्तु राष्ट्रपति, राजपत्र में, अधिसूचना द्वारा, यह निदेश दे सकेगा कि इस भाग के उपबंध ऐसे किसी संघ राज्यक्षेत्र या उसके भाग को, जिसे वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे, लागू नहीं होंगे। | 243यन. विद्यमान विधियों का जारी रहना.-इस भाग में किसी बात के होते हुए भी, संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम, 2011 के प्रारंभ से ठीक पूर्व किसी राज्य में प्रवृत्त सहकारी सोसाइटियों से संबंधित किसी विधि का कोई उपबंध, जो इस भाग के उपबंधों से असंगत है, उसे सक्षम विधान-मंडल या अन्य सक्षम प्राधिकारी द्वारा संशोधित या निरसित किए जाने तक या ऐसे प्रारंभ से एक वर्ष के समाप्त होने तक, इनमें से जो भी कम हो, प्रवृत्त बना रहेगा।
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