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The Constitution of India Citizenship LLB Law

  The Constitution of India Citizenship LLB Law:- ‘Citizens’  in the preamble mean those individuals who under the constitution are guaranteed civic rights in the body politic and who can hold public offices and elect their representatives to Parliament and Assemblies of the States. the are persons who were declared citizens on the inauguration of the Constitution and those on whom the rights of citizens were conferred and on whom they be conferred by law. State Trading Corporation of India Ltd, This Post The Constitution of India LLB Low Study Material Previous Year Mock Test Question With Answer Paper in Hindi (English) Language Available.

The Constitution of India Notes

 

भाग 2

नागरिकता (CITIZENSHIP)

  1. संविधान के प्रारंभ परक नागरिकता.- इस संविधान के प्रारंभ पर प्रत्येक व्यक्ति जिसका भारत के राज्यक्षेत्र में अधिवास है और-
  • जो भारत के राज्यश्रेत्र में जन्मा था. या
  • जिसके माता या पिता में से कोई भारत के राज्यक्षेत्र में मामीली तौर से निवासि रहा है, भारत का नागरिक होगा।
  • जो ऐसे प्रारंभ से ठीक पहले कम से कम पांच वर्ष तक भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से निवासि रहा है, भारत का नाकरिक होगा।

टिप्पणी उदेशिका में “नागरिकों” से वे व्यक्ति अभिप्रेत हैं, जिन्हें संविधान के अधीन निकाय राजनीति में नागरिक अधिकार प्रत्याभूत किये जाते हैं और जो सार्वजनिक पद धारण कर सकते हैम और संसद तथा राज्यों की सभाओं में अपने प्रतिनिधियों का निर्वचन कर सकते हैं । वे ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें सविंधान के प्रारम्भ पर नागरिक घोषित किया गया था और जिनको नागरिकों का अधिकार प्रदान किया गया था और जिनको उन्हें विधि द्वारा प्रदान किया जा सकता है। स्टेट ट्रेडिंग कार्पोरेशन आफ इण्डिया लि. वि. कामर्शियल टेक्स आफीसर, ए. . आर. 1963 एस. सी. 1811.

  1. पाकिस्तान से भारत को प्रव्रजन करने वाले कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार.- अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जिसमे ऐसे राज्यक्षेत्र से जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, भारत के राज्यक्षेत्र को प्रव्रजन किया है, इस संविधान के प्रारंभ पर भारत का नागरिक समझा जाएगा-
  • यदि वह अथवा उसके माता या पिता में से कोई अथवा उसके पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल रूप में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था, और
  • (;)  जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसमे 19 जुलाई, 1984 से पहले इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह अपने प्रव्रजन की तारीख से भारत के राज्यक्षेत्र में मामूली तौर से नीवासी रहा है, या

(;;)   जबकि वह व्यक्ति ऐसा है जिसने 19 जुलाई, 1948 को या उसके पश्चात् इस प्रकार प्रव्रजन किया है तब यदि वह नागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियम की सरकार द्वारा विहित प्ररूप में और रीती से उसके द्वारा इस संविदामन के प्रारंभ से पहले ऐसे अधिकारी को, जिसे उस सरकार ने इस प्रयोन के लिए नियुक्त किया है, आलेदन किए जाने पर उस अधिकारी द्वारा भारत का नागरिक रजिस्ट्रीक्रत कर लिया गया है: परन्तु यदि कोई व्यक्ति अपन आवेदन की तारीक से ठीक पहले कम से कम छह मास भारत के राज्यक्षेत्र  में निवासि नहीं रहा है तो वह इस प्राकर रजिस्ट्रीक्रत नहीं किया जाएगा।

  1. पाकिस्तान को प्रव्रजन करने वालो कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार.- अनुच्छेद् 5 और अनुच्छेद 6 में किसी बात के होते हुए भी कोई व्यक्ति जिसमे 1 मार्च, 1947 के पश्चात् भारत के राज्यक्षेत्र से ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन किया है, भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा :

परन्तु इस अनुच्छेद की कोई बात ऐसे व्यिक्त को लागू नहीं होगी जो ऐसे राज्यक्षेत्र को, जो इस समय पाकिस्तान के अंतर्गत है, प्रव्रजन करने के पश्चात् भारत के राज्यक्षेत्र को ऐसी अनुज्ञा के अधीन लौट आया है जो पुनर्वास के लिए या साथायी रूप से लौटनें के लिए किसी विधि के प्राधिकार दावार या उसके अधीन दी गई है और प्रत्येक ऐसे व्यक्ति के बारे में अनुच्छेद 6 के खंड (ख) के प्रयोजनों के लिए यह समझा जाएगा कि उसने भारत क राज्यक्षेत्र को 19 जुलाई, 1948 के पश्चात् प्रव्रजन किया है।

  1. भारत के बाहर रहने वाले भारतीय उदभव के कुछ व्यक्तियों के नागरिकता के अधिकार.- अनुच्छेद 5 में किसी बात के होते हुए भी, कोई व्यक्ति जो या जिसके मात या पिता में से कोई अथवा पितामह या पितामही या मातामह या मातामही में से कोई (मूल पूर में यथा अधिनियमित) भारत शासन अधिनियम, 1935 में परिभाषित भारत में जन्मा था और जो इस प्रकार परिभाषित भारत के बाहर किसी देश में मामूली तौर से निवास कर रहा है, भारत का नागरिक समझा जाएगा, यदि वह मागरिकता प्राप्ति के लिए भारत डोमिनियम की सरकार दावार या भारत सरकार द्वापा विहित प्ररुप में और रीति से अपने द्वारा उस देश में, जहाँ वह तत्समय निवास कर रहा है, भारत के राजनयिक या कौंसलीय प्रतिनिधि दावार भारत का नागरिक रजिस्ट्रिक्रत कर लिया जाएगा।
  2. विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित करने वाले व्यक्तियों का नागरिक न होना.- यदि किसी व्यिक्ति ने किसी विदेशी राज्य की नागरीकता स्वेच्छ से अर्जित करक ली है तो वह अनिच्छेद 5 के आधार प र भारत का नागरिक नहीं होगा अथवा अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा।
  3. नागरिकता के अधिकारों का बना रहना.- प्रत्येक व्यक्ति, जो इस भाग  पूर्वगामी उपबंधों में से किसि के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जाता है, ऐसी विदि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, जो संसद दावार बनाई जाए, भारत का नागहिक बना रहेगा।
  4. संसद द्वारा नागरिकता के अधिकार का विधि द्वार विनियमन किया जाना.- इस भाग के पूर्वगामि उपबंधों की कोई बात नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में उपबंध करने की संसद की शक्ति का अल्पीकरण नहीं करेकी।

  टिप्पणी इस अनुच्छेद के अधीन मागरिकों के अन्तर्गत केवल मैसर्गिक व्यक्ति शामिल हैं और न कि न्यायिक वयक्ति जैसे निगम, समितियाँ इत्यादि। धरम दत्त वि. ए. आई. आर. 2004 एस. सी. 1295: (2004) 1 एस. सी. सी. 712.

 


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