LLB 1st Year Semester Law of Contract 1 Question Paper
LLB 1st Year Semester Law of Contract 1 Question Paper:- Bachelor of Law (LLB) Law of Contract 1 (16th) Edition Notes Study Material Complete होने के बाद आज आपको LLB 1st Year Semester Law of Contract के Question Answer Paper / Appendix 2 Question Bank in Hindi and English Language (PDF Download) करने के लिए दे रहे है | LLB Appendix 2 Question Bank / Question With Answer Objective Type को हम दो भागो में बाँट रहे है जिसका पहला भाग हम इस पोस्ट में आपको Free Online Share कर रहे है | LLB Notes 1st Year and 2nd Year 3rd Year पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट से जुड़े ताकि आने वाली New LLB Question Paper With Objective Type Question Answer in Hindi and English Language में आपके सामने ला सके |
परिशिष्ट 2 Appendix 2 (LLB Notes)
प्रश्न बैक (QUESTION BANK) (LLB Questions With Answer)
प्रश्न 1 निम्नलिखित में से कौन-सी ‘संविदा‘ की सही परिभाषा है–
(क) संविदा एक ऐसे करार को कहते हैं जिससे एक पक्षकार द्वारा किये गये प्रस्ताव को दूसरा पक्षकार स्वीकार करता है।
(ख) संविदा एक ऐसा करार है जिसमें कुछ प्रतिफल भी होता है।
(ग) विधि द्वारा प्रवर्तनीय करार संविदा है। ।
(घ) प्रस्ताव करने वाले तथा प्रतिग्रहण करने वाले व्यक्तियों के मध्य वैध प्रतिफल के लिए करार को संविदा कहते हैं। 0
प्रश्न 2-निम्नलिखित में ‘प्रस्ताव‘ की कौन-सी सही परिभाषा है–
(क) जब एक व्यक्ति किसी बात के करने या करने से प्रतिविरत होने की अपनी रजामन्दी दूसरे को संज्ञात करता है तब उसके बारे में कहा जाता है कि वह प्रस्ताव करता है।
(ख) जब एक व्यक्ति कुछ करने की अपनी रजामन्दी दूसरे को संज्ञात करता है, तो उसके बारे में कहा जाता है कि वह प्रस्ताव करता है।
(ग) जब एक व्यक्ति किसी बात के करने या प्रतिविरत होने की अपनी रजामन्दी ऐसे कार्य या प्रतिविरति के प्रति दूसरे की अनुमति प्राप्त करने की दृष्टि से उस दूसरे को संज्ञात करता है तब उसके बारे में कहा जाता है कि वह प्रस्ताव करता है।
(घ) जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से कुछ करने या न करने का वचन देता है तब उसके बारे में कहा जाता है कि वह प्रस्ताव करता है। –
प्रश्न 3 निम्नलिखित में से कौन-सा कारलिल बनाम कारबोलिक स्मोक बाल कं० (1893) 1 क्यू० बी० 256 में प्रतिपादित सिद्धान्त है–
(क) प्रस्ताव सदैव एक विनिर्दिष्ट (Specilic) व्यक्ति या व्यक्तियों को किया जाना चाहिये तथा ऐसे विनिर्दिष्ट व्यक्ति ही उसे स्वीकार कर सकते हैं। 0
(ख) यह सदैव आवश्यक नहीं है कि प्रस्ताव विनिर्दिष्ट व्यक्ति या व्यक्तियों को किया जाय तथा कोई भी व्यक्ति जिसे इसका ज्ञान है उसका प्रतिग्रहण (acceptance) कर सकता है।
(ग) प्रस्ताव सामान्य भी हो सकता है परन्तु यह संविदा तभी बन सकता है जब कोई व्यक्ति इसका प्रतिग्रहण करे तथा उसकी संसूचना प्रस्ताव करने वाले को दे।।
(घ) यह आवश्यक नहीं है कि प्रस्ताव सदैव किसी विनिर्दिष्ट व्यक्ति या व्यक्तियों को किया जाय; यह सामान्य हो सकता है या पूरे विश्व को किया जा सकता है परन्तु यह संविदा तभी बन सकता है जब कोई विनिर्दिष्ट व्यक्ति इसे स्वीकार करता है अथवा प्रस्ताव की शर्तों का पालन करता है।
प्रश्न 4-‘अ‘ का भतीजा घर से भाग गया। ‘अ‘ के मुनीम ‘ब‘ ने बालक को खोजने के लिए अपनी सेवाओं की पेशकश की। मुनीम के बालक को खोजने हेतु जाने के पश्चात् ‘अ‘ ने एक विज्ञापन द्वारा यह प्रस्ताव रखा कि जो कोई उसके भतीजे को खोज लायेगा उसे वह 501 रुपये इनाम देना।
‘ब’ ने बालक को खोज लिया तथा उसे घर वापस ले आया। तत्पश्चात् उसे उक्त इनाम का पता लगा तथा उसने अपने मालिक के विरुद्ध 501 रुपये प्राप्त करने के लिए वाद किया।
निम्नलिखित में से कौन-सा उत्तर उपर्युक्त वाद का सही निर्णय होगा–
(क) ‘ब’ इनाम पाने का अधिकारी है।।
(ख) ‘ब’ इनाम पाने का अधिकारी नहीं है क्योंकि उसे इनाम का पता बालक को खोज लेने के बाद चला।
(ग) ‘ब’ इनाम पाने के अधिकारी नहीं है क्योंकि उसने ‘अ’ द्वारा किये गये प्रस्ताव के प्रतिग्रहण को ‘अ’ को संसूचित नहीं किया।
(घ) ‘ब’ इनाम पाने का अधिकारी नहीं है क्योंकि वह ‘अ’ का मुनीम है।।
प्रश्न 5-निम्नलिखित में से कौन-सी विधि की सही स्थिति है-
(क) डाक द्वारा स्वीकृति, प्रस्तावकर्ता के विरुद्ध, तब पूर्ण होती है जब वह प्रस्तावकर्ता के ज्ञान में आ जाती है।
(ख) डाक द्वारा स्वीकृति, प्रस्तुतकर्ता के विरुद्ध, तब पूर्ण होती है जब स्वीकृति का पत्र पत्र-पेटी से डाकिया निकाल कर लक्ष्य पर भेजे जाने के लिए उसका पारेषण करता है।
(ग) डाक द्वारा स्वीकृति, प्रस्तावकर्ता के विरुद्ध, तब पूर्ण होती है जब वह प्रस्तावकर्ता के ज्ञान में आ जाती है तथा वह उसकी प्राप्ति की संसूचना प्रतिग्रहीता (acceptor) को कर देता है। 0
(घ) डाक द्वारा स्वीकृति, प्रस्तावकर्ता के विरुद्ध, तब पूर्ण होती है जब प्रतिग्रहीता उसका पारेषण कर देता है (Puts it in the course of transmission) अथवा स्वीकृति का पत्र पत्र-पेटी में डाल देता है |
प्रश्न 6-निम्नलिखित में से कौन-सा सही है ?
(क) डाक द्वारा एक बार स्वीकृति होने के पश्चात् उसका प्रतिसंहरण नहीं हो सकता है।
(ख) डाक द्वारा स्वीकृति का प्रस्तावकर्ता द्वारा उस पर अमल करने के पूर्व प्रतिसंहरण किया जा सकता है।
(ग) डाक द्वारा स्वीकृति को प्रतिग्रहीता के विरुद्ध स्वीकृति की संसूचना पूर्ण होने के पूर्व किसी भी समय प्रतिसंहरण किया जा सकता है परन्तु उसके पश्चात् नहीं किया जा सकता।
(घ) डाक द्वारा स्वीकृति का किसी भी समय प्रतिसंहण किया जा सकता है। 0
प्रश्न 7-एक प्रतिज्ञा या वचन (promise)-
(क) एक ऐसा प्रस्ताव होता है जो वैध रूप से किया गया है।
(ख) एक ऐसा प्रस्ताव होता है जिसे उचित प्रकार से संसूचित किया जाता है।
(ग) एक वैध प्रस्ताव होता है।
(घ) एक ऐसा प्रस्ताव होता है जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
प्रश्न 8-निम्नलिखित में से कौन-सा सही है ?
(क) प्रत्येक वचन या प्रतिज्ञा एक करार होता है।
(ख) प्रत्येक स्वीकृत प्रस्ताव एक करार होता है।
(ग) एक-दसरे के लिए प्रतिफल होने वाली प्रत्येक प्रतिज्ञा और प्रत्येक प्रतिज्ञा-संवर्ग करार है।
(घ) जब कोई प्रस्ताव स्वीकार हो जाता है तो वह करार कहलाता है। –
प्रश्न 9 -एक करार जो एक या अधिक पक्षकारों के विकल्प पर प्रवर्तनीय होता है परन्तु अन्य पक्षकार या पक्षकारों के विकल्प पर प्रवर्तनीय नहीं होता है–
(क) शून्य संविदा होता है।
(ख) शून्यकरणीय संविदा होती है।
(ग) अवैध संविदा होती है।
(घ) वैध संविदा नहीं होती है।
प्रश्न 10-निम्नलिखित में से कौन सही है–
(क) विधि द्वारा मान्य करार संविदा होता है।
(ख) ऐसा करार संविदा होता है जिसे विधि अनुमति प्रदान करती है।
(ग) विधि द्वारा प्रवर्तनीय करार संविदा है।
(घ) ऐसा करार संविदा होता है जिसे विधि निषिद्ध नहीं करती है।
प्रश्न 11-प्रस्ताव की संसूचना तब पूर्ण होती है जब–
(क) प्रस्ताव करने वाला उसे प्रतिग्रहीता के पास भेजता है।
(ख) जब कि वह उस व्यक्ति के, जिसको कि वह दी गयी है, ज्ञान में आ जाती है।
(ग) जब प्रस्ताव करने वाला उसे प्रतिग्रहीता के पास भेजने का निश्चय कर लेता है।
(घ) जब प्रस्ताव करने वाला प्रतिग्रहीता के पास भेजे जाने हेतु उसका पारेषण कर देता है (puls it in the course of transmission)I
प्रश्न 12-प्रस्तावकर्ता के विरुद्ध स्वीकृति की संसूचना तब पूर्ण होती है जब–
(क) वह उसके पास पहुंचती है।
(ख) जब वह उसके ज्ञान में आती है।
(ग) जब कि वह उसका पारेषण कर देता है (puts it in the cousc of transmission) जिससे वह स्वीकृति करने वाले की शक्ति से परे हो जाता है।।
(घ) जबकि वह उस पर अमल करता है।
प्रश्न 13-प्रतिग्रहीता के विरुद्ध, स्वीकृति की संसूचना तब पूर्ण होती है जब–
(क) वह प्रस्ताव करने वाले के ज्ञान में आती है।।
(ख) जब उसका पारेषण प्रस्ताव करने वाले के पास भेजे जाने के लिए कर दिया जाता है।
(ग) जब प्रतिग्रहीता स्वीकृति करने का निश्चय करता है।
(घ) जब प्रस्ताव करने वाला उस पर अमल करता है।
प्रश्न 14 भारतीय संविदा अधिनियम–
(क) 1932 में पारित किया गया था। –
(ख) 1872 में पारित किया गया था।
(ग) 1930 में पारित किया गया था।
(घ) 1831 में पारित किया गया था।
प्रश्न 15—निम्नलिखित में से कौन-सा सही है–
(क) प्रस्ताव करने वाला प्रतिग्रहीता पर यह दायित्व अधिरोपित कर सकता है कि वह प्रस्ताव को स्वीकार करे।।
(ख) प्रस्ताव करने वाला यह घोषित कर सकता है कि प्रतिग्रहीता की धुप (silencc) को उसकी स्वीकृति मानी जायगी।
(ग) प्रस्ताव करने वाला प्रतिग्रहीता पर यह दायित्व अधिरोपित नहीं कर सकता है कि उसकी चुप स्वीकृति मानी जायगी। .
(घ) प्रस्ताव करने वाला प्रतिग्रहीता पर यह दायित्व अधिरोपित कर सकता है कि यदि वह प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करता है तो अपनी इन्कार की संसूचना अवश्य दे। –
प्रश्न 16-निम्नलिखित में से कौन-सा सही है–
(क) यह आवश्यक नहीं है कि स्वीकृति सदैव व्यक्त हो, वह विवक्षित भी हो सकती है अथवा उसका निष्कर्ष पक्षकारों के आचरण से निकाला जा सकता है।
(ख) स्वीकृति सदैव व्यक्त होनी चाहिये।।
(ग) स्वीकृति कभी भी विवक्षित नहीं हो सकती है। –
(घ) स्वीकृति का निष्कर्ष पक्षकारों के आचरण से नहीं निकाला जा सकता है।
प्रश्न 17 एक प्रस्ताव को प्रतिज्ञा या वचन (promisc) में परिवर्तित करने के लिए स्वीकृति—
(क) किसी भी ढंग से व्यक्त की जा सकती है।
(ख) युक्तियुक्त ढंग से व्यक्त की जाना चाहिये।
(ग) किसी प्रायिक (usual) तथा युक्तियुक्त ढंग से व्यक्त की जानी चाहिये चाहे प्रस्ताव इसके लिए कोई ढंग बताये।
(घ) यदि प्रस्ताव स्वीकृति करने के ढंग नहीं बताता है, स्वीकृति प्रायिक तथा युक्तियुक्त ढंग से की जानी चाहिये।
प्रश्न 18—डाक द्वारा स्वीकृति के मामले में, स्वीकृति उस समय पूर्ण होती है जब स्वीकृति का पात्र-
(क) पत्र-पेटी में डाल दिया जाता है।
(ख) प्रस्ताव करने वाले को जब प्राप्त होता है।
(ग) लिखा जाता है तथा उस पर हस्ताक्षर किये जाते हैं।
(घ) डाक में डालने के लिए किसी को दिया जाता है। 0
प्रश्न 19-जहाँ किसी संविदा में प्रस्ताव तथा स्वीकृति टेलीफोन द्वारा होती है, संविदा, उस स्थान पर पूर्ण होती है जहाँ स्वीकृति होती है तथा स्वीकृति तब पूर्ण होती है जब–
(क) स्वीकृति के शब्द बोले जाते हैं।
(ख) स्वीकृति के शब्द प्रस्तावकर्ता द्वारा सुने जाते हैं।
(ग) जब प्रस्तावकर्ता द्वारा स्वीकृति के शब्द सुने जाते हैं तथा वह इसकी संसूचना प्रतिग्रहीता को देता है।
(घ) जब प्रस्तावकर्ता द्वारा स्वीकृति के शब्द सुने जाते हैं तथा वह उन पर अमल करता है।
प्रश्न 20-‘ब‘ ने अपना फार्म 1000 पौंड में बेचने का प्रस्ताव ‘अ‘ को किया । ‘अ‘ ने कहा कि वह फार्म 950 पौंड में खरीदेगा। बाद में ‘अ‘ 1000 पौंड में फार्म को खरीदने को राजी हो गया। परन्तु ‘ब‘ ने फार्म ‘अ‘ के बेचने से इन्कार कर दिया। ‘अ‘ ने संविदा के विनिर्दिष्ट पालन के लिए वाद किया। इस वाद के निर्णय के रूप में निम्नलिखित में कौन-सा सही है
(क) ‘अ’ अपने वाद में सफल होगा। ।
(ख) ‘अ’ अपने वाद में सफल नहीं होगा क्योंकि संविदा पूर्ण नहीं हुई।
(ग) ‘अ’ अपने वाद में सफल होगा क्योंकि उसके द्वारा 1000 पौंड में फार्म खरीदने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया।
(घ) ‘अ’ अपने वाद में सफल होगा क्योंकि उसके द्वारा 100 पौंड देने को राजी होने के पश्चात् ‘ब’ उसके हाथ फार्म बेचने को बाध्य होगा। .
प्रश्न 21-एस० ऐण्ड के० एक दवाई के मालिक निर्माता तथा विक्रेता थे। उन्होंने समाचार-पत्रों में एक विज्ञापन दिया कि जो कोई व्यक्ति इस दवाई का प्रयोग लिखित निदेशों तथा निर्धारित दिनों तक करेगा उसे इन्फ्लुएन्जा नहीं होगा तथा यदि हुआ तो कम्पनी ऐसे व्यक्ति को 1000 रुपये इनाम देगी। कम्पनी ने इनाम देने हेतु 10,000 रुपये सेण्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया में जमा कर दिये । ‘अ‘ एक महिला ने उक्त दवाई विक्रेता से खरीदी तथा लिखित निदेशों तथा निर्धारित दिनों तक दवाई का प्रयोग किया फिर भी उसे इन्फ्लुएन्जा हो गया। ‘अ‘ ने एस० ऐण्ड के० के विरुद्ध 1000 रुपये इनाम पाने का वाद किया। ‘अ‘ अपने वाद में–
(क) सफल नहीं होगी क्योंकि कम्पनी तथा उसके मध्य संविदा नहीं हुई।।
(ख) सफल नहीं होगी क्योंकि उसके तथा कम्पनी के मध्य करार में उसकी ओर से प्रतिफल नहीं था।0
(ग) सफल नहीं होगी क्योंकि उसने कम्पनी के प्रस्ताव की स्वीकृति की संसूचना कम्पनी को नहीं भेजी।
(घ) सफल होगी क्योंकि प्रस्ताव की शर्तों का पालन प्रस्ताव का प्रतिग्रहण या स्वीकृति होती है ।
प्रश्न 22-बिना प्रतिफल के करार–
(क) शून्य होता है।
(ख) शून्यकरणीय होता है। –
(ग) वैध नहीं होता है।
(घ) अवैध होता है।
प्रश्न 23 निम्नलिखित परिभाषाओं में से ‘प्रतिफल‘ की कौन-सी परिभाषा सही है–
(क) जब एक प्रतिज्ञाकर्ता (promisor) की इच्छा पर प्रतिग्रहीता (promiscc) या किसी अन्य व्यक्ति ने कोई बात की है तब ऐसा कार्य या प्रतिविरति या प्रतिज्ञा उस प्रतिज्ञा के लिये प्रतिफल कहलाती
(ख) जब एक प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर प्रतिज्ञाकर्ता ने कोई बात की है या करने से प्रतिविरत रहा है. या कार्य करता है या करने से प्रतिविरत रहता है, या करने की या करने से प्रतिविरत रहने की प्रतिज्ञा करता है तब ऐसा कार्य या प्रतिविरति या प्रतिज्ञा उस प्रतिज्ञा के लिये प्रतिफल कहलाती है।
(ग) जब एक प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर प्रतिग्रहीता या किसी अन्य व्यक्ति ने कोई बात की है
या करने से प्रतिविरत रहा है, या कार्य करता है या करने से प्रतिविरत रहता है, ए करने की या प्रतिविरत रहने की प्रतिज्ञा करता है तब ऐसा कार्य या प्रतिविरति या प्रतिज्ञा उस प्रतिज्ञा के लिये प्रतिफल कहलाती है ।
(घ) जब प्रतिज्ञाकर्ता के लिए, प्रतिग्रहीता कुछ करता है, यह कार्य प्रतिज्ञा के लिए प्रतिफल कहलाती है।
प्रश्न 24.-‘अ‘ ने जिला कलेक्टर की इच्छा पर एक बाजार निर्मित किया। तत्पश्चात् ‘ब‘ ने उसमें एक दुकान किराये पर ली तथा यह करार किया कि जितना माल वह उस बाजार में बेचेगा उस पर एक निश्चित कमीशन ‘अ‘ को देगा। ‘अ‘ कने उक्त वचन के भंग के लिए ‘ब‘ के विरुद्ध वाद किया। ‘अ‘ अपने वाद में–
(क) सफल होगा क्योंकि करार में प्रतिफल है। –
(ख) सफल होगा क्योंकि करार में उपयुक्त प्रतिफल है।
(ग) सफल होगा क्योंकि ‘ब’ ने अपना वचन भंग किया।
(घ) सफल नहीं होगा क्योंकि ‘अ’ ने बाजार ‘ब’ की इच्छा पर नहीं परन् जिला कलेक्टर की इच्छा पर बनाया था।
प्रश्न 25-‘द‘ की माँ ने उसे अपनी जमींदारी एक पंजीकृत दान विलेख द्वारा दे दी। विलेख में यह भी प्रावधान था कि ‘द‘ प्रतिवर्ष उसके भाई को 653 रुपये देती रहेगी। उसी दिन ‘द‘ ने उसके भाई ‘प‘ के पक्ष में उक्त शर्त के पालन हेतु एक करार निष्पादित किया। परन्तु बाद में उसने ‘प‘ को 653 रुपये प्रतिवर्ष नहीं दिये। ‘प‘ ने ‘द‘ के विरुद्ध उक्त धन प्राप्त करने के लिए वाद किया। ‘द‘ ने वाद का विरोध इस आधार पर किया कि ‘प‘ की ओर से कोई प्रतिफल नहीं था अत: वह 653 रुपये देने को बाध्य नहीं है। इस वाद में न्यायालय–
(क) ‘प’ का वाद खारिज कर देगा क्योंकि उसकी ओर से कोई प्रतिफल नहीं है।
(ख) ‘प’ का वाद खारिज कर देगा क्योंकि प्रतिफल प्रतिग्रहीता द्वारा ही दिया जाना चाहिये।
(ग) ‘प’ का वाद खारिज कर देगा क्योंकि करार में कोई प्रतिफल नहीं है।
(घ) ‘प’ के पक्ष में निर्णय देगा क्योंकि प्रतिफल प्रतिग्रहीता अथवा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दिया जा सकता है।
प्रश्न 26-एक मुसलमान महिला ने अपने ससुर (father in law) के विरुद्ध एक वाद वह खरचाए-पानदान (betel-leaf expenditure) प्राप्त करने के लिए किया जो उन्होंने उसके पिता के साथ निष्पादित किये गये करार के अन्तर्गत देने स्वीकार किये थे। यद्यपि महिला उक्त दस्तावेज की पक्षकार नहीं थी, उसे ही इसके अन्तर्गत लाभ प्राप्त होना था। इस वाद में महिला
(क) सफल नहीं होगी क्योंकि बिना प्रतिफल के करार शून्य होता है तथा उसकी ओर से करार के लिए कोई प्रतिफल नहीं है।
(ख) सफल नहीं होगी क्योंकि वह करार की पक्षकार नहीं थी तथा वह इसके अन्तर्गत कोई अधिकार प्राप्त नहीं कर सकती है।
(ग) सफल होगी क्योंकि प्रतिवादी द्वारा किये गये करार के अन्तर्गत एक अचल सम्पत्ति पर विनिर्दिष्ट भार उसके पक्ष में अधिरोपित किया गया था तथा करार के अन्तर्गत उसे ही लाभ प्राप्त नहीं होना था।
(घ) सफल नहीं होगी क्योंकि अपने पति के साथ रहने से इन्कार कर देने के कारण उसका खर्चा प्राप्त करने का अधिकार समाप्त हो गया था।
प्रश्न 27-‘द‘ तथा उसे पिता के मध्य 5 वर्षों से मुकदमेबाजी हो रही थी क्योंकि पिता ने ‘द‘ को अपना वैध पुत्र मानने से इन्कार कर दिया था। इन पाँच वर्षों में ‘प‘ ने द की सहायता की थी। यह सेवायें उसने ‘द‘ को उस समय से अर्पित की जब वह अवयस्क था तथा उसके वयस्क होने तक चली। उक्त सेवाओं के लिये ‘द‘ ने ‘प‘ को वचन दिया कि वह उसे प्रतिवर्ष 125 रूपये देगा। उक्त सेवायें या सहायता इस उद्देश्य से की गई थीं कि इनका प्रतिकर प्राप्त होगा परन्तु प्रतिकर की प्रकृति तथा सीमा निश्चित नहीं की गयी थी। ‘प‘ ने उक्त वचन को लागू करवाने के लिए ‘द‘ के विरुद्ध वाद किया। इस वाद में ‘प‘.-
(क) सफल नहीं होगा क्योंकि करार में प्रतिफल भूतकालीन (Past था। 0
(ख) सफल होगा क्योंकि ‘द’ ने उसे जो भूतकाल में सहायता की थी उसका प्रतिकार देने का बाद में वचन दिया था। 0
(ग) सफल नहीं होगा क्योंकि करार में कोई प्रतिफल नहीं है।
(घ) सफल नहीं होगा क्योंकि अवयस्क द्वारा की गयी संविदा शून्य होती है।
प्रश्न 28-एक समाचार-पत्र के मालिक ‘प‘ ने अपने समाचार-पत्र में विज्ञापन द्वारा एक प्रस्ताव रखा कि वह अपने समाचार-पत्र के पढ़ने वालों को वित्तीय सलाह देंगे। उक्त विज्ञापन को पढ़कर ‘द‘ ने अपने धन को सुरक्षित रूप से लगाने की सलाह माँगी तथा एक अच्छे स्टाक दलाल का नाम भी बताने को कहा। समाचार-पत्र के सम्पादक ने एक स्टाक दलाल के बारे में अपनी संस्तुति दी। यद्यपि सम्पादक को पता नहीं था, उक्त दलाल दिवालिया (bankrupt) था। ‘द‘ ने उक्त दलाल के पास कुछ धन भेजा तथा दलाल ने उक्त धन का दुर्विनियोग (misappropriation) कर लिया। उक्त धन को प्राप्त करने के लिए ‘द‘ ने ‘प‘ के विरुद्ध वाद किया। इस वाद में ‘द‘-
(क) सफल नहीं होगा क्योंकि प्रतिफल अनुपयुक्त था।
(ख) सफल होगा क्योंकि प्रतिफल का उपयुक्त होना आवश्यक नहीं होता है।
(ग) सफल नहीं होगा क्योंकि करार में प्रतिफल नहीं था। .
(घ) सफल नहीं होगा क्योंकि समाचार-पत्र के सम्पादक को इस बात का ज्ञान नहीं था कि दलाल दिवालिया था।
प्रश्न 29-निम्नलिखित में से कौन-सा सही है–
(क) प्रतिफल का उपयुक्त या वास्तविक होना आवश्यक नहीं है।
(ख) प्रतिफल सदैव उपयुक्त होना चाहिये।
(ग) प्रतिफल का कानून की दृष्टि से कुछ मूल्य का होना आवश्यक नहीं है। –
(घ) प्रतिफल का उपयुक्त होना आवश्यक नहीं है परन्तु यह सदैव वास्तविक अथना कानून की दृष्टि के कुछ मूल्य का होना चाहिये।
प्रश्न 30-एक फैक्ट्री में हड़ताल होने के कारण फैक्ट्री मैनेजर ने पुलिस से समुचित सुरक्षा प्रदान करने की प्रार्थना की। पुलिस अधीक्षक ने कुछ पुलिस सिपाही भेजने का निश्चय किया परन्तु फैक्ट्री मैनेजर ने प्रार्थना की कि एक निश्चित संख्या में पुलिस फैक्ट्री के परिसर में तैनात की जाय। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इसके लिए फैक्ट्री को प्रतिफल देना पड़ेगा। मैनेजर ने प्रतिफल देना स्वीकार कर लिया तथा पुलिस अधीक्षक ने मैनेजर की इच्छानुसार पुलिस तैनात कर दी। फैक्ट्री द्वारा भुगतान न करने के पश्चात्, पुलिस ने प्रतिफल प्राप्त करने के लिए फैक्ट्री के विरुद्ध वाद किया। इस वाद में पुलिस–
(क) सफल नहीं होगी क्योंकि करार अवैध है।।
(ख) सफल नहीं होगी क्योंकि करार में कोई प्रतिफल नहीं है। – .
(ग) सफल नहीं होगी क्योंकि वह फैक्ट्री को समुचित सुरक्षा प्रदान करने के लिए पहले ही से बाध्य थी।
(घ) सफल होगी क्योंकि पुलिस जितना करने के लिए बाध्य थी उसने मैनेजर की प्रार्थना पर उससे अधिक किया।
प्रश्न 31-निम्नलिखित में से कौन-सा सही है–
(क) प्रतिफल सदैव उपयुक्त या पर्याप्त होना चाहिये।
(ख) प्रतिफल की अपर्याप्तता या अनुपयुक्तता का ध्यान न्यायालय यह अवधारित करने में नहीं रख सकता है कि इस पर प्रतिज्ञाकर्ता ने अपनी सम्मति स्वतन्त्रतापूर्वक दी थी।
(ग) प्रतिफल की अपर्याप्तता का ध्यान न्यायालय कभी नहीं रख सकता क्योंकि न्यायालय पक्षकारों की ओर से सौदेबाजी नहीं कर सकता है।
(घ) प्रतिफल का पर्याप्त होना आवश्यक नहीं है परन्तु प्रतिफल की अपर्याप्तता का ध्यान न्यायालय यह प्रश्न अवधारित करने में रख सकता है कि क्या प्रतिज्ञाकर्ता ने अपनी सम्मति स्वतन्त्रापूर्वक दी थी।
प्रश्न 32-निम्नलिखित में से विधि की सही स्थिति कौन-सी है–
(क) भूतकालीन प्रतिफल अच्छा प्रतिफल नहीं होता है।
(ख) भूतकालीन प्रतिफल तभी अच्छा प्रतिफल हो सकता है जब वह प्रतिज्ञाकर्ता (promisor) की इच्छा पर दिया गया है।
(ग) भूतकालीन प्रतिफल एक अच्छा प्रतिफल हो सकता है जब वह प्रतिज्ञाकर्ता की इच्छा पर दी गई है तथा जब एक ऐसे व्यक्ति को प्रतिकर देने का वचन दिया जाता है जिसने प्रतिज्ञाकर्ता के लिए कुछ स्वेच्छा से किया है।
(घ) भूतकालीन प्रतिफल तभी अच्छा प्रतिफल हो सकता है जब एक ऐसे व्यक्ति को प्रतिकर देने का वचन दिया जाता है जिसने स्वेच्छा से प्रतिज्ञाकर्ता के लिए कुछ किया है।
प्रश्न 33-निम्नलिखित में से कौन-सी विधि की सही स्थिति है–
(क) यदि पक्षकारों के मध्य नैसर्गिक प्रेम या स्नेह के लिए कोई मौखिक करार किया जाता है तो प्रतिफल की कमी या अनुपस्थिति के कारण करार शून्य नहीं होगा।
(ख) यदि पक्षकारों, जो नजदीकी रिश्तेदार हैं के मध्य नैसर्गिक प्रेम या स्नेह के कारण एक लिखित करार किया जाता है तथा उसे पंजीकृत कराया जाता है तो करार इस आधार पर शून्य नहीं होगा कि उसमें प्रतिफल नहीं है। 0
(ग) यदि पक्षकारों के मध्य नैसर्गिक प्रेम या स्नेह के कारण एक लिखित करार किया जाता है, तो करार इस आधार पर शून्य नहीं होगा कि उसमें प्रतिफल नहीं है।0.
(घ) यदि पक्षकारों के मध्य कोई लिखित करार नैसर्गिक प्रेम या स्नेह के कारण किया जाता है तथा उसका पंजीकरण कराया जाता है, तो करार इस आधार पर शून्य नहीं होगा कि उसमें प्रतिफल नहीं है।
प्रश्न 34-निम्नलिखित में से कौन-सा सही है–
(क) प्रतिफल प्रतिज्ञाग्रहीता (promisec) या उसके अधिकृत एजेन्ट द्वारा दिया जा सकता है।
(ख) प्रतिफल प्रतिज्ञाग्रहीता तथा केवल प्रतिज्ञाग्रहीता द्वारा ही दिया जा सकता है।
(ग) प्रतिफल प्रतिज्ञाग्रहीता या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा दिया जा सकता है।
(घ) प्रतिफल प्रतिज्ञाग्रहीता के अलावा कोई भी व्यक्ति दे सकता है।
प्रश्न 35-एक पति ने एक लिखित तथा पंजीकृत करार द्वारा अपनी पत्नी को पृथक् रहने के लिए कुछ धन मासिक देने का वचन दिया। करार में उनके मध्य पारस्परिक मनमुटाव तथा झगड़ों का उल्लेख था। पति द्वारा अपना वचन पूरा करने पर पत्नी ने वाद किया। इस वाद में पत्नी–
(क) सफल नहीं होगी क्योंकि करार में उसकी ओर से कोई प्रतिफल नहीं था तथा वह नैसर्गिक प्रेम या स्नेह के कारण नहीं था।
(ख) सफल होगी क्योंकि करार लिखित तथा पंजीकृत था। –
(ग) सफल होगी क्योंकि करार नैसर्गिक प्रेम या स्नेह के कारण किया गया था।
(घ) सफल होगी क्योंकि करार लिखित तथा पंजीकृत था तथा पक्षकारों में नजदीकी रिश्तेदारी थी। 0
प्रश्न 36-‘अ‘ तथा ‘ब‘ भाई-भाई थे। छोटे भाई ‘ब‘ ने पहले ‘अ‘ के विरुद्ध जायदाद के बँटवारे का वाद दायर किया था परन्तु वह इस आधार पर हार गया कि जायदाद ‘अ‘ की स्वयं अर्जित थी तथा वह पैतृक नहीं थी। बाद में अपने भाई ‘ब‘ से समझौता करने के उद्देश्य से, ‘अ‘ ने एक लिखित तथा पंजीकृत करार द्वारा ‘ब‘ को अपनी जायदाद में से आधा हिस्सा देने का वचन दिया। ‘ब‘ ने उक्त वचन को लागू करवाने के लिए वाद किया। इस वाद में ब–
(क) सफल नहीं होगा क्योंकि करार के समय उसके तथा ‘अ’ के मध्य नैसर्गिक प्रेम या स्नेह नहीं था।
(ख) सफल नहीं होगा क्योंकि करार में ‘ब’ की ओर से कोई प्रतिफल नहीं था।
(ग) सफल नहीं होगा क्योंकि जायदाद पैतृक नहीं थी।
(घ) सफल होगा क्योंकि करार लिखित तथा पंजीकृत था, दोनों भाई नजदीकी रिश्तेदार थे तथा नैसर्गिक प्रेम तथा स्नेह के कारण ही ‘अ’ ने अपनी जायदाद में से ‘ब’ को आधा हिस्सा देने का वचन दिया था।
प्रश्न 37-‘ब‘ का पर्स खो जाता है। ‘अ‘ को ‘ब‘ का पर्स पड़ा मिलता है तथा वह, ‘ब‘ को। देता है। इस पर ‘ब‘ ‘अ‘ को 100 रुपये देने का वचन देता है। यह वचन लागू
(क) नहीं करवाया जा सकता है क्योंकि ‘अ’ की ओर से कोई प्रतिफल नहीं है।
(ख) नहीं करवाया जा सकता क्योंकि भूतकालीन प्रतिफल अच्छा प्रतिफल नहीं होता है। 0
(ग) लागू करवाया जा सकता है क्योंकि ‘अ’ ने कुछ कार्य स्वेच्छा से किया तथा ‘ब’ ने उसके प्रतिकर के रूप में 100 रुपये देने का वचन दिया।
(घ) क्योंकि बिना प्रतिफल के करार शून्य होता है।
प्रश्न 38-‘अ‘ ‘ब‘ के अवयस्क पुत्र की संभाल (supports) करता है। ‘ब‘ को 500 रुपये देने का वचन देता है। यह–
(क) संविदा है।
(ख) संविदा नहीं है क्योंकि ‘अ’ ने ‘ब’ की इच्छा पर कार्य नहीं किया था।
(ग) संविदा नहीं है क्योंकि करार में ‘अ’ की ओर से कोई प्रतिफल नहीं है।
(घ) संविदा नहीं है क्योंकि ‘अ’ की ओर से प्रतिफल भूतकालीन है।
प्रश्न 39-‘अ‘ ‘ब‘ 2000 रुपये का ऋणी है परन्तु मर्यादा अधिनियम के अन्तर्गत ऋण निषिद्ध हो गया है। ‘अ‘ ‘ब‘ को लिखित वचन हस्ताक्षर करके देता है वह उसे 2000 रुपये देगा। यह करार–
(क) विधि द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है क्योंकि ऋण मर्यादा विधि द्वारा निषिद्ध है।।
(ख) विधि द्वारा प्रवर्तनीय है। ।
(ग) विधि द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है क्योंकि बिना प्रतिफल के करार शून्य होता। –
(घ) विधि द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है कि क्योंकि करार का पंजीकरण नहीं कराया गया है।
प्रश्न 40-‘अ‘ अपने घोड़े जिसकी कीमत 1000 रूपये है ‘ब‘ के हाथ 10 रुपये में बेचने का करार करता है। ‘अ‘ का कहना है कि उसकी सम्मति स्वतन्त्र नहीं थी। इस करार में–
(क) प्रतिफल की अपर्याप्तता का तथ्य ऐसा है जिसे न्यायालय यह अवधारित करने में ध्यान रखेगा क्या ‘अ’ की सम्मति स्वतन्त्र थी।
(ख) प्रतिफल की अपर्याप्तता का तथ्य सारहीन है क्योंकि प्रतिफल का पर्याप्त होना आवश्यक नहीं है।
(ग) न्यायालय ‘ब’ से यह सिद्ध करने को नहीं कह सकता है कि ‘अ’ की सम्मति स्वतन्त्र नहीं
(घ) न्यायालय ‘अ’ से यह सिद्ध करने को कह सकता है कि उसकी सम्मति स्वतन्त्र नहीं थी।
प्रश्न 41-निम्नलिखित में से विधि की सही स्थिति कौन-सी है–
(क) बिना प्रतिफल के सभी करार शून्य होते हैं।
(ख) बिना प्रतिफल के करार शून्य होता है परन्तु इसका एक अपवाद यह है कि यदि कोई करार अभिव्यक्त या लिखित रूप में पंजीकरण तथा पक्षकारों के मध्य प्राकृतिक प्रेम तथा स्नेह के कारण हो तथा पक्षकार एक दूसरे के निकट सम्बन्धी हों तो ऐसा करार इस कारण शून्य नहीं होगा कि उसमें प्रतिफल की कमी है।।
(ग) बिना प्रतिफल के करार शून्य होता है परन्तु इसके चार अपवाद हैं-(i) निकट सम्बन्धी पक्षकारों में जब प्राकृतिक प्रेम तथा स्नेह के सम्बन्ध में; (ii) मर्यादा या परिसीमा विधि के अन्तर्गत अवधि बीत जाने वाले ऋण भुगतान किये जाने की प्रतिज्ञा; (ii) किसी स्वेच्छा से किये गये कार्य के प्रतिकर देने की प्रतिज्ञा के सम्बन्ध में; तथा (iv) एजेन्सी उत्पन्न करने के मामले में।
(घ) बिना प्रतिफल के करार शून्य होता है परन्तु उसका एक अपवाद यह है कि यदि किसी व्यक्ति ने कोई कार्य स्वेच्छा से किया है तथा उसके लिए दूसरा व्यक्ति उसकी पूर्ण या आंशिक रूप से क्षतिपूर्ति करने के लिए प्रतिज्ञा करता है ऐसी प्रतिज्ञा इस आधार पर शून्य नहीं होगी कि उसमें प्रतिफल नहीं है।
प्रश्न 42-‘अ‘ ‘ब‘ को वचन देता है कि उसने उसके विरुद्ध डकैती का जो मुकदमा दायर किया हि वापस ले लेगा तथा ‘ब‘ वचन देता है कि वह ‘अ‘ को उन चीजों की कीमत ‘अ‘ को दे देगा जो उसने ली थी।
निम्नलिखित में से उपर्युक्त मामले का सही उत्तर या निर्णय कौन-सा होगा
(क) करार वैध है।।
(ख) करार शन्य है क्योंकि इसका उद्देश्य अवैध है क्योंकि यह आपराधिक विधि के प्रावधानों . को निष्फल करता है।
(ग) करार शून्य है क्योंकि यह विधि द्वारा निषिद्ध है। –
(घ) किसी भी पक्षकार के विकल्प पर करार शून्यकरणीय है। –
प्रश्न 43-‘अ‘, ‘ब‘ तथा ‘स‘ करार करते हैं कि वह कपट से प्राप्त लाभों को आपस में विभाजित करेंगे।
निम्नलिखित में उपर्युक्त वाद का सही निर्णय क्या होगा-
(क) करार शून्य है क्योंकि यह विधि के प्रावधानों को निष्फल करता है।
(ख) करार, शून्यकरणीय है।
(ग) करार शून्य है क्योंकि इसका उद्देश्य अवैध है।
(घ) करार शून्य है क्योंकि यह विधि द्वारा निषिद्ध है।
प्रश्न 44–’अ‘ ‘ब‘ को वचन देता है कि वह उसे लोक सेवा में नौकरी दिलायेगा तथा ‘ब‘ ‘अ‘ को 100 रुपये देने का वचन देता है। यह करार–
(क) वैध है।
(ख) शून्य है क्योंकि इसके लिए प्रतिफल अवैध है।
(ग) शून्यकरगीय है।
(घ) शून्य है क्योंकि ‘अ’ की ओर से कोई प्रतिफल नहीं है।
प्रश्न 45-विधायनी के एक अधिनियम के अन्तर्गत ‘अ‘ की सम्पत्ति राजस्व न अदा करने के करण बेची जा रही है। अधिनियम के अनुसार, राजस्व अदा करने में चूक करने वाला सम्पत्ति नहीं खरीद सकता है। ‘अ‘ ‘ब‘ के साथ एक समझौता करता है कि वह उक्त सम्पत्ति को खरीद ले तथा ‘व‘ यह करार करता है कि वह ‘अ‘ से सम्पत्ति की वह कीमत जो उसने दी थी लेकर सम्पत्ति ‘अ‘ को देगा, यह करार–
(क) शून्य है क्योंकि कपट से प्राप्त किया गया।
(ख) शून्य है क्योंकि यह विधि द्वारा निषिद्ध है।
(ग) शून्य है क्योंकि संव्यवहार वास्तव में राजस्व अदा करने में चूक करने वाले द्वारा क्रय है तथा विधि के उद्देश्य को विफल करता है। 0
(घ) शून्य है क्योंकि यह लोकनीति के विरुद्ध है।
प्रश्न 46-‘अ‘ अपनी पुत्री को ‘ब‘ को रखैल बनाये जाने हेतु किराये पर देने का करार करता है। यह करार शून्य है क्योंकि यह–
(क) विधि द्वारा निषिद्ध है।
(ख) लोकनीति के विरुद्ध है।
(ग) अनैतिक है चाहे किराये पर देना भारतीय दण्ड संहिता द्वारा दण्डनीय न हो।
(घ) ऐसी प्रकृति का है कि यदि इसकी अनुमति दी जाय तो यह विधि के प्रावधानों को निष्फल करेगा।
प्रश्न 47 यदि एक या अधिक उद्देश्यों के लिए एकल प्रतिफल का कोई भाग किसी एक उद्देश्य के लिए कई प्रतिफलों में से कोई एक या किसी एक का कोई भाग विधि विरुद्ध है तो करार–
(क) शून्य नहीं होगा।
(ख) शून्य होगा।
(ग) शून्यकरणीय होगा।
(घ) करार की वैधता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।
प्रश्न 48-‘अ‘ ने ‘ब‘ को एक चार पहिये वाली गाड़ी (brougham) किराये पर तब तक देने का करार किया जब तक किश्तों द्वारा भुगतान नहीं हो जाता अथवा अधिक से अधिक 12 महीनों तक। ‘प‘ को इस बात का ज्ञान था कि ‘ब‘ एक वेश्या है तथा चार पहियों वाली गाड़ी का प्रयोग वह ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए तथा वेश्यावृत्ति का अनैतिक पेशा चलाने के लिए चाहती थी। ‘ब‘ ने उक्त उद्देश्य के लिए गाड़ी का प्रयोग किया। यह करार–
(क) वैध है।
(ख) शून्य है।
(ग) शून्यकरणीय है।
(घ) शून्य नहीं है।
प्रश्न 49- दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 107 के प्रावधानों के अनुसार, एक अभियुक्त ‘प‘ से 5000 रुपये की जमानत अच्छी चाल-चलन के लिए देने को कहा गया। अभियुक्त ‘प‘ ने ‘द‘ के पास 5000 रुपये जमा कर दिये तथा उसे प्रतिभू होने के लिए मना लिया। जमानत की अवधि की समाप्ति के बाद ‘प‘ ने ‘द‘ से 5000 रुपये प्राप्त करने चाहे तथा न मिलने पर उसके विरुद्ध वाद किया। न्यायालय उक्त करार को शून्य घोषित कर देगा क्योंकि–
(क) यह विधि द्वारा निषिद्ध है। –
(ख) यह कपटपूर्ण है।
(ग) यह ऐसी प्रकृति का है कि यदि इसकी अनुमति दी गयी तो यह विधि के प्रावधान को निष्फल कर देगा।
(घ) यह अनैतिक है।
प्रश्न 50-‘अ‘ ने ‘ब‘ के साथ एक करार किया कि ‘ब‘ सरकार के एक मंत्री पर प्रभाव डालकर उसके हित में एक मामले में निर्णय करायेगा तथा ‘अ‘ इसके एवज में ‘ब‘ को 2000 रुपये देगा। यह करार शून्य है क्योंकि–
(क) यह विधि द्वारा निषिद्ध है।
(ख) यह लोकनीति के विरुद्ध है।
(ग) यह कपटपूर्ण है।
(घ) यह ऐसी प्रकृति का है कि यदि इसकी अनुमति दी गयी तो विधि के प्रावधानों को निष्फल कर देगा।
प्रश्न 51-एक एडवोकेट ने अपने मुवक्किल के साथ एक करार किया। करार के अन्तर्गत यह तय हुआ कि वह वाद के लिए 5000 रुपये फीस लेगा। करार में यह भी प्रावधान रखा गया कि वाद से जितना धन प्राप्त हुआ उसका आधा एडवोकेट लेगा। यह करार शून्य है क्योंकि–
(क) विधि द्वारा निषिद्ध है। ।
(ख) यह ऐसी प्रकृति का है कि यदि इस पर अनुमति दी गयी तो विधि के प्रावधानों को निष्फल कर – देगा।
(ग) अनैतिक है।
(घ) लोकनीति के विरुद्ध है।
प्रश्न 52_’अ‘ तथा ‘ब‘ करार करते हैं कि ‘अ‘ ‘ब‘ को एक मकान 10,000 रुपये में बेचेगा।
परन्तु यदि ‘ब’ इसका प्रयोग जुआ घर के रूप में करता है तो वह ‘अ’ को 50,000 रुपये देगा। इस मामले में निम्नलिखित में से कौन-सा निर्णय सही है
(क) पूर्ण करार शून्य है। 0
(ख) प्रतिज्ञाओं का प्रथम संवर्ग अर्थात् ‘अ’ द्वारा ‘ब’ को मकान 10,000 रुपये में बेचने की संविदा है।।
(ग) प्रतिज्ञाओं का द्वितीय संवर्ग अर्थात् मकान का जुएघर के रूप में प्रयोग संविदा है।।
(घ) पूर्ण करार शून्यकरणीय है।।
प्रश्न 53–’अ‘ तथा ‘ब‘ करार करते हैं कि ‘अ‘ ‘ब‘ को 5000 रुपय देगा तथा बाद में ‘ब‘ ‘अ‘ को चावल अथवा तस्करी की अफीम प्रदाय करेगा।
निम्नलिखित में से कौन-सा सही है-
(क) पूर्ण करार को प्रवर्तित किया जा सकता है।
(ख) यह करार शून्यकरणीय है।
(ग) चावल प्रदाय करने का करार वैध संविदा है। .
(घ) तस्करी की अफीम प्रदाय करने का करार पूर्ण करार का अविच्छिन्न भाग है।
प्रश्न 54 निम्नलिखित में से कौन-सा सही है—
(क) अवयस्क की संविदा शून्यकरणीय होती है।
(ख अवयस्क की कुछ संविदायें शून्य होती हैं तथा कुछ शून्यकरणीय होती हैं। ।
(ग) अवयस्क की संविदा प्रारम्भ से ही शून्य होती है।
(घ) अवयस्क की संविदा वैध होती है।
प्रश्न 55—एक अवयस्क ने अपनी अवयस्कता की अवधि में एक वचन-पत्र (Promissorynote) निष्पादित किया। वयस्क होने पर उसने पहले नोट की सन्तुष्टि हेतु दूसरा वचन-पत्र निष्पादित किया। उपर्युक्त मामले का निर्णय निम्नलिखित में से कौन-सा सही है-
(क) अवयस्क पहले वचन-पत्र के आधार पर दायित्वाधीन है।।
(ख) अवयस्क दूसरे वचन-पत्र के आधार पर दायित्वाधीन है क्योंकि यह वयस्कता की अवधि में निष्पादित किया गया था।
(ग) अवयस्क दूसरे वचन-पत्र के लिए दायित्वाधीन नहीं है क्योकि कोई प्रतिफल नहीं है।
(घ) अवयस्क दोनों वचन-पत्रों के लिए दायित्वाधीन है।
प्रश्न 56-एक अवयस्क ‘अ‘ ने मिथ्यापूर्ण व्यपदेशन द्वारा अपने को वयस्क बताकर अपनी जमीन ‘ब‘ के हाथ 17,500 रुपये में बेची। ‘ब‘ ने जमीन का कब्जा प्राप्त करने के लिये वाद किया। ‘अ‘ वाद का इस आधार पर विरोध करता है कि उक्त विक्रय के करार के समय वह अवयस्क था। इस मामले में निम्नलिखित में से कौन-सा सही उत्तर होगा-
(क) ●कि अवयस्क की संविदा शून्य होती है, न्यायालय ‘ब’ को कोई अनुतोष प्रदान नहीं करेगा तथा वाद खारिज कर देगा।
(ख) चँकि अवयस्क ने कपटपूर्ण मिथ्या व्यपदेशन द्वारा अपने को वयस्क बताया, वाद का निर्णय उसके विरुद्ध होगा तथा ‘ब’ को जमीन का कब्जा मिलेगा।।
(ग) चूँकि अवयस्क की संविदा प्रारम्भ से ही शून्य होती है, न्यायालय ‘ब’ के साथ ‘अ’ के करार को लागू नहीं करेगा परन्तु न्यायालय अवयस्क से यह कह सकता है कि जहाँ तक समभ्व हो वह ‘ब को उस लाभ को वापस करे जिससे उसे या उसकी सम्पत्ति को लाभ हुआ है। –
(घ) चूंकि अवयस्क ने कपटपूर्ण मिथ्या-व्यपदेशन द्वारा अपने को वयस्क बताया, विबन्ध के सिद्धान्त के अनुसार वह यह तर्क नहीं कर सकता कि वह करार करने के समय अवयस्क था तथा न्यायालय उसके विरुद्ध निर्णय देगा।
प्रश्न 57-निम्नलिखित में कौन सी विधि की सही स्थिति है-
(क) प्रत्येक व्यक्ति जो वयस्क है संविदा करने के लिये सक्षम (Competent) है।
(ख) प्रत्येक व्यक्ति जो जिस कानून के अध्यधीन है उसके अनुसार वयस्क है संविदा करने के लिये सक्षम है। .
(ग) प्रत्येक व्यक्ति जो स्वस्थ चित्त का है तथा किसी कानून द्वारा संविदा करने के लिए अयोग्य है, संविदा करने के लिए सक्षम है।
(घ) प्रत्येक व्यक्ति जो जिस कानून के अध्यधीन है उसके अनुसार वयस्क है तथा जो स्वस्थ चित्त का है तथा जो किसी विधि संविदा करने के लिए अयोग्य है; संविदा करने के लिए सक्षम है।
प्रश्न 58-एक 19 वर्ष का लड़का ‘अ‘ जिसकी सम्पत्ति के लिए अभिभावक नियुक्त किया गया है, ‘ब‘ से संविदा करता है। यह संविदा-
(क) वैध है।
(ख) शून्यकरणीय है।
(ग) शून्य है।
(घ) अवैध है।
प्रश्न 59-एक अवयस्क ‘अ‘ कपटपूर्ण मिथ्या व्यपदेशन द्वारा अपने को वयस्क बताकर बसे 10,000 रुपये प्राप्त करने हेतु अपने मकान का बन्धक विलेख ‘ब‘ के नाम निष्पादित करता है। जिस समय विलेख निष्पादित किया जा रहा था ‘ब‘ को पता लगा कि ‘अ‘ अवयस्क है लेकिन फिर भी उसने बन्धक विलेख निष्पादित करवा लिया। न्यायालय बन्धक विलेख के-
(क) शून्य घोषित करेगा।
(ख) शून्यकरणीय घोषित करेगा।
(ग) वैध घोषित करेगा।
(घ) अवैध घोषित करेगा।
प्रश्न 60–उपर्युक्त वाद में न्यायालय-
(क) ‘अ’ को आदेश दे सकता है कि वह ‘ब’ को वह लाभ वापस करे जो उसे या उसकी सम्पत्ति को हुआ है।
(ख) ‘ब’ को कोई अनुतोष प्रदान नहीं करेगा क्योंकि ‘ब’ को यह पता चल गया था कि ‘अ’ अवयस्क है।
(ग) ‘अ’ को यह तर्क करने की अनुमति नहीं देगा कि वह करार के समय अवयस्क था।
(घ) बन्धक विलेख को शून्य घोषित नहीं करेगा क्योंकि ‘अ’ ने कपटपूर्ण मिथ्या व्यपदेशन किया था।
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