Indian Penal Code The Criminal Breach of Contracts of Service LLB Notes
Indian Penal Code The Criminal Breach of Contracts of Service LLB Notes:- The Indian Penal Code 1860 Chapter no 19 Most Important Topic for LLB Law 1st Year 1st Semester Study Material Notes in PDF Download With Previous Year Solved Sample Questions With Answer Paper.
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अध्याय 19
सेवा-संविदाओं के आपराधिक भंग के विषय में
(OF THE CRIMINAL BREACH OF CONTRACTS OF SERVICE)
490. समुद्र यात्रा या यात्रा के दौरान सेवा भंग-कर्मकार संविदा भंग (निरसन) अधिनियम, 1925 (1925 का 3) की धारा 2 और अनुसूची द्वारा निरसित।।
491. असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा का भंग-जो कोई किसी ऐसे व्यक्ति को, जो किशोरावस्था या चित्त विकृति या रोग या शारीरिक दुर्बलता के कारण असहाय है, या अपने निजी क्षेम की व्यवस्था या अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए असमर्थ है, परिचर्या करने के लिए या उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए विधिपूर्ण संविदा द्वारा आबद्ध होते हुए, स्वेच्छया ऐसा करने का लोप करेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
टिप्पणी
अवयव– इस धारा के निम्नलिखित अवयव हैं
1. विधिपूर्ण संविदा द्वारा एक व्यक्ति को आबद्ध करना।
2. ऐसी संविदा इस हेतु होनी चाहिये कि ऐसे व्यक्ति की परिचर्या अथवा उसकी अवश्यकताओं की पूर्ति करें, जो
(क) किशोरावस्था; या
(ख) चित्त-विकृत; या
(ग) रोग; या
(घ) शारीरिक दुर्बलता के कारण असहाय है; या
(ङ) अपने निजी क्षेत्र की व्यवस्था; या
(च) अपनी निजी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में असमर्थ है।
3. संविदा द्वारा आबद्ध व्यक्ति द्वारा स्वेच्छया उसे पूर्ण करने का लोप करना। यह धारा असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की और उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने की संविदा के भंग को दण्डित करती है। भारतीय दण्ड संहिता के निर्माताओं ने इस संदर्भ में अपना विचार व्यक्त करते हुये कहा था कि हम यद्यपि विधि विशेषज्ञों के इस विचार से सहमत हैं कि सामान्यतया संविदा भंग को अपराध नहीं मानना चाहिये, उसे केवल सिविल कार्यवाही पर ही छोड़ देना चाहिये, फिर भी इस सामान्य नियम के कुछ अपवाद हैं। हम यह मानते हैं कि वे व्यक्ति जो एक शिशु, बीमार या असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की संविदा करते हैं अपने को एक विशिष्ट प्रकार के दायित्व से बांध देते हैं और यदि वे इस दायित्व का निर्वहन करने में लोप करते हैं तो उन्हें दण्डित किया जायेगा। उसकी उपेक्षा के फलस्वरूप जो दुख एवं परेशानी व्युत्पन्न होती है वह इस प्रकृति की होती है जिसकी प्रतिपूर्ति अधिकतम आर्थिक अनुदान द्वारा भी नहीं किया जा सकता।
हम यह मानते हैं कि वे व्यक्ति जो एक शिशु, बीमार या असहाय व्यक्ति की परिचर्या करने की संविदा करते हैं अपने को एक विशिष्ट प्रकार के दायित्व से बांध देते हैं और यदि वे इस दायित्व का निर्वहन करने में लोप करते हैं तो उन्हें दण्डित किया जायेगा। उसकी उपेक्षा के फलस्वरूप जो दुख एवं परेशानी व्युत्पन्न होती है वह इस प्रकृति की होती है जिसकी प्रतिपूर्ति अधिकतम आर्थिक अनुदान द्वारा भी नहीं किया जा सकता।
इस धारा के अन्तर्गत संविदा के अन्य पक्षकारों के प्रति की गयी संविदा-भंग दण्डनीय नहीं है, केवल वही संविदा-भंग दण्डनीय है जिससे किसी सक्षम व्यक्ति की देख-रेख का उत्तरदायित्व ग्रहण किया गया है। तथा जो संविदा के अन्तर्गत नहीं आते।।। |
492. दूर वाले स्थान पर सेवा करने का संविदा भंग जहाँ सेवक को मालिक के खर्चे पर ले जाया जाता है— कर्मकार संविदा भंग (निरसन) अधिनियम, 1925 (1925 का 3) की धारा 2 और अनुसूची द्वारा निरसित ।
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