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Indian Penal Code Offences Relating to the Army Navy Air Force LLB Notes

Indian Penal Code Offences Relating to the Army Navy Air Force LLB Notes:- LLB Bachelor of Law Notes Study Material for Indian Penal Code 1086 Part 7 of Offences Relating to the Army, Navy and Air Force Online PDF Download in Hindi English.

अध्याय 7

सेना, नौसेना और वायुसेना से सम्बन्धित अपराधों के विषय में

(OF OFFENCES RELATING TO THE ARMY, NAVY AND AIR FORCE)

  1. विद्रोह का दुष्प्रेरण या किसी सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करना- जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा विद्रोह किए जाने का दुष्प्रेरण करेगा, या किसी ऐसे आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक को उसकी राजनिष्ठा या उसके कर्तव्य से विचलित करने का प्रयत्न करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्मान से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण– इस धारा में ‘‘आफिसर”, “सैनिक”, “नौसैनिक”, और ‘वायुसैनिक” शब्दों के अन्तर्गत कोई भी व्यक्ति आता है जो, यथास्थिति, आर्मी एक्ट, सेना अधिनियम, 1950 (1950 का 46), नेवल डिसिप्लिन एक्ट, इण्डियन नेवी (डिसिप्लिन) एक्ट, 1934 (1934 का 34) या एयरफोर्स एक्ट या वायुसेना अधिनियम, 1950 (1950 का 45) के अध्यधीन हो। टिप्पणी यह धारा सैन्य विद्रोह के दुष्प्रेरण से सम्बन्धित है। शब्द ‘‘सैन्य विद्रोह” या गदर (Mutiny) को संहिता में परिभाषित नहीं किया गया है। इसमें सामूहिक अवज्ञा या वैध सैन्य प्राधिकारियों का प्रतिरोध करने या प्रतिरोध करने के लिये दूसरों को उकसाने हेतु दो या अधिक व्यक्तियों के बीच सन्धि निहित है। यह धारा केवल उन कार्यों को लागू होती है जिनका आशय सामूहिक रूप में सैनिक को विद्रोह के लिये भड़काना है या राजनिष्ठा या उनके कर्तव्य से उन्हें विचलित करना है। भारतीय फौजों में लघु पुस्तिकाओं (Pamphlets) का वितरण जिसमें एक प्रलेख में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय सैनिकों की दशा में तुलना ब्रिटिश सैनिकों से की गयी थी, इस धारा तथा धारा 124-क के अन्तर्गत अपराध माना गया है।

  1. विद्रोह का दुष्प्रेरण, यदि उसके परिणाम स्वरूप विद्रोह किया जाए- जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा विद्रोह किए। जाने का दुष्प्रेरण करेगा, यदि उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप विद्रोह हो जाए, तो वह मृत्यु से, या आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी, दण्डनीय होगा।
  2. सैनिक, नौसैनिक  वायुसैनिक द्वारा अपने वरिष्ठ आफिसर पर जबकि वह आफिसर अपने पद निष्पादन में हो, हमले का दुष्प्रेरण- जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा किसी वरिष्ठ आफिसर पर, जबकि वह आफिसर अपने पद निष्पादन में हो, हमले का दुष्प्रेरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी, दण्डनीय होगा।
  3. ऐसे हमले का दुष्प्रेरण, यदि हमला किया जाए- जो कोई भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायसेना के आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा किसी वरिष्ठ आफिसर पर, जबकि वह आफिसर अपने पद निष्पादन में हो, हमले का दुष्प्रेरण करेगा, यदि ऐसा हमला उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप
या जाए तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी, दण्डनीय होगा।
  1. पिंडी दास, 6 क्रि० लॉ ज० 411.
 
  1. सैनिक नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अभियजन का दुष्प्रेरण- जो कोई भारत सरकार – शैयेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अभित्यजन किए जाने
या करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
  1. अभियाजक को संश्रय देना- जो कोई सिवाय एतस्मिन्पश्चात् यथा अपवादित के यह जानते हए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि भारत सरकार की सेना, नौ सेना, या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक ने अभित्यजन किया है, ऐसे आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायसैनिक को संश्रय देगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
अपवाद-इस उपबन्ध का विस्तार उस मामले पर नहीं है, जिसमें पत्नी द्वारा अपने पति को संश्रय दिया जाता है। |
  1. मास्टर की उपेक्षा से किसी वाणिज्यिक जलयान पर छिपा हुआ अभियाजक–किसी ऐसे वाणिज्यिक जलयान का, जिस पर भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना का कोई अभियाजक छिपा हुआ हो, मास्टर या भारसाधक व्यक्ति, यद्यपि वह ऐसे छिपने के सम्बन्ध में अनभिज्ञ हो, ऐसी शास्ति से दण्डनीय होगा जो पांच सौ रुपये से अधिक नहीं होगी, यदि उसे ऐसे छिपने का ज्ञान हो सकता था किन्तु केवल इस कारण नहीं हुआ कि ऐसे मास्टर या भारसाधक व्यक्ति के नाते उसके कर्तव्य में कुछ उपेक्षा हुई, या उस जलयान पर अनुशासन का कुछ अभाव था। |
  2. सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता के कार्य का दुष्प्रेरण- जो कोई ऐसी बात का दुष्प्रेरण करेगा जिसे कि वह भारत सरकार की सेना, नौसेना या वायुसेना के किसी आफिसर, सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा अनधीनता का कार्य जानता हो, यदि अनधीनता का ऐसा कार्य उस दुष्प्रेरण के परिणामस्वरूप किया जाये, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि छह मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
138क. पूर्वोक्त धाराओं का भारतीय सामुद्रिक सेवा को लागू होना-– संशोधन अधिनियम, 1934 (1934 का 35) की धारा 2 तथा अनुसूची द्वारा निरसित।।
  1. कुछ अधिनियमों के अध्यधीन व्यक्ति- कोई व्यक्ति, जो आर्मी एक्ट, सेना अधिनियम, 1950 (1950 का 46), नेवल डिसिप्लिन एक्ट, इण्डियन नेवी (डिसिप्लिन) एक्ट, 1934 (1934 का 34), एयर फोर्स एक्ट या वायुसेना अधिनियम, 1950 (1950 का 45) के अध्यधीन है, इस अध्याय में परिभाषित अपराधों में से किसी के लिए इस संहिता के अधीन दण्डनीय नहीं है। |
  2. सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक पहनना या टोकन धारण करना-जो कोई भारत सरकार की सैन्य, नाविक या वायुसेना का सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक न होते हुए, इस आशय से कि यह विश्वास किया जाए कि वह ऐसा सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक है, ऐसी कोई पोशाक पहनेगा या ऐसा टोकन धारण करेगा जो ऐसे सैनिक, नौसैनिक या वायुसैनिक द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली पोशाक या टोकन के सदृश हो, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पांच सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
टिप्पणी इस धारा का यह सार है कि अभियुक्त के पोशाक को देखकर अन्य लोगों को यह विश्वास हो जाये कि वह तत्समय सेना कर्मचारी है। किन्तु सैनिक पोशाक को बिना इस आशय से पहनना अपराध नहीं है। सैनिकों द्वारा त्याग दिये गये वस्त्रों को सामान्यत: धारण करना अपराध नहीं है जब तक कि उसे सैनिक के रूप में दिखाने के आशय से धारण न किया गया हो।

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