Indian Penal Code Offences Relating Document Property Marks Part 2 LLB Notes
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सम्पत्ति चिन्हों और अन्य चिन्हों के विषय में
(OF PROPERTY AND OTHER MARKS)
478. व्यापार और पण्य चिह्न अधिनियम-1958 के अधिनियम 43 की धारा 135 और अनुसूची द्वारा निरसित।।
479. सम्पत्ति चिह्न- वह चिह्न, जो यह द्योतन करने के लिए उपयोग में लाया जाता है कि जंगम सम्पत्ति किसी विशिष्ट व्यक्ति की है, सम्पत्ति-चिह्न कहा जाता है।
टिप्पणी
यह धारा सम्पत्ति चिह्न की परिभाषा प्रतिपादित करती है। ‘‘सम्पत्ति चिह्न” शब्दों से तात्पर्य है वह चिह्न जिसका प्रयोग यह दर्शाने के लिये होता है कि कोई चल सम्पत्ति किसी विशिष्ट व्यक्ति की है। इंगलिश विधि में व्यापार चिह्न (Trade mark) तथा सम्पत्ति चिह्न (Property mark) में कोई अन्तर नहीं माना गया
480. व्यापार और पण्य चिह्न अधिनियम-1958 के अधिनियम 43 की धारा 135 और अनुसूची द्वारा निरसित ।
481. मिथ्या सम्पत्ति चिह्न को उपयोग में लाना- जो कोई किसी जंगम सम्पत्ति या माल को या किसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र को, जिसमें जंगम सम्पत्ति या माल रखा है, ऐसी रीति से चिह्नित करता है या किसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र को, जिस पर कोई चिह्न है, ऐसी रीति से उपयोग में लाता है, जो इसलिए युक्तियुक्त रूप से प्रकल्पित है कि उससे यह विश्वास कारित हो जाए कि इस प्रकार चिह्नित सम्पत्ति या माल, या इस प्रकार चिह्नित किसी ऐसे पात्र में रखी हुई कोई सम्पत्ति या माल, ऐसे व्यक्ति का है, जिसका वह नहीं है, वह मिथ्या सम्पत्ति चिह्न का उपयोग करता है, यह कहा जाता है।
टिप्पणी
यह धारा मिथ्या सम्पत्ति चिह्न को उपयोग में लाने के अपराध से सम्बन्धित है। संपत्ति चिह्न इस संकेत। का प्रतीक है कि चल सम्पत्ति पर किसी व्यक्ति का स्वामित्व है, यह चल सम्पत्ति चाहे एक प्रकार की हो अथवा अनेक प्रकार की 99
96. आर० के० डालमिया, (1962) II क्रि० लॉ ज० 805.
97. विबुद्धानन्द चक्रवती, (1919) 47 कल० 71.
98. सुखमाप मैत्रा, (1937) 16 पटना 688.
99. डाहया भाई, (1904) 6 बाम्बे एल० आर० 513.
अवयव-इस धारा के दो आवश्यक तत्व हैं
(1) किसी चल सम्पत्ति, माल को या किसी पेटी, पैकेज, या अन्य पात्र को जिसमें चल सम्पत्ति या माल रखा है, चिह्नित करना;
(2) इन्हें इस रीति से चिह्नित करना या उपयोग में लाना जिससे यह विश्वास करने की युक्तियुक्तं परिकल्पना जागृत हो कि इस प्रकार चिह्नित सम्पत्ति या माल या इस प्रकार चिन्हित किसी ऐसे पात्र में रखी। हुई कोई सम्पत्ति या माल किसी ऐसे व्यक्ति का है, जिसका कि वास्तव में नहीं है।
व्यापार चिह्न (trade mark) तथा सम्पत्ति चिह्न (property mark) में अन्तर है कि व्यापार-चिह्न माल। के निर्माण तथा गुण को इंगित करता है जबकि सम्पति चिह्न माल के स्वामित्व को प्रदर्शित करता है। दूसरे शब्दों में, व्यापार चिह्न का सम्बन्ध माल से है किन्तु सम्पत्ति चिह्न का स्वामित्व से।
482. मिथ्या सम्पत्ति-चिह्न का उपयोग करने के लिए दण्ड- जो कोई किसी मिथ्या सम्पत्तिचिह्न का उपयोग करेगा, जब तक कि यह साबित न कर दे कि उसने कपट करने के आशय के बिना कार्य किया है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
483. अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाए गए सम्पत्ति-चिह्न का कूटकरण- जो कोई किसी सम्पत्ति-चिन्ह का, जो किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उपयोग में लाया जाता हो, कूटकरण करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
484, लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाए गए चिह्न का कूटकरण- जो कोई किसी सम्पत्ति चिह्न का, जो लोक सेवक द्वारा उपयोग में लाया जाता हो, या किसी ऐसे चिह्न का, जो लोक सेवक द्वारा यह द्योतन करने के लिए उपयोग में लाया जाता हो कि कोई सम्पत्ति किसी विशिष्ट व्यक्ति द्वारा या किसी विशिष्ट समय या स्थान पर विनिर्मित की गई है, या यह कि वह सम्पत्ति किसी विशिष्ट क्वालिटी की है या किसी विशिष्ट कार्यालय में से पारित हो चुकी है, या यह कि वह किसी छूट की हकदार है, कूटकरण करेगा या किसी ऐसे चिह्न को उसे कूटकृत जानते हुए असली के रूप में उपयोग में लाएगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
485. सम्पत्ति-चिह्न के कूटकरण के लिए कोई उपकरण बनाना या उस पर कब्जा- जो कोई सम्पत्ति-चिह्न के कूटकरण के प्रयोजन से कोई डाई, पट्टी या अन्य उपकरण बनाएगा या अपने कब्जे में रखेगा, अथवा यह द्योतन करने के प्रयोजन से कि कोई माल ऐसे व्यक्ति का है, जिसका वह नहीं है, किसी सम्पत्ति चिह्न को अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
486. कुटकृत सम्पत्ति-चिह्न से चिह्नित माल का विक्रय- जो कोई किसी माल या चीजों को, स्वयं उन पर या किसी ऐसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र पर, जिसमें ऐसा माल रखा हो, कोई कूटकृत सम्पत्ति चिह्न लगा हुआ या छपा हुआ होते हुए बेचेगा या बेचने के लिए अभिदर्शित करेगा या अपने कब्जे में रखेगा, जब तक कि वह यह साबित न कर दे, कि
(क) इस धारा के विरुद्ध अपराध न करने की सब युक्तियुक्त पूर्वावधानी बरतते हुए, चिह्न के असलीपन के सम्बन्ध में संदेह करने के लिए उसके पास कोई कारण अभिकथित अपराध करते समय नहीं था, तथा
(ख) अभियोजक द्वारा या उसकी ओर से मांग किए जाने पर, उसने उन व्यक्तियों के विषय में, जिनसे उसने ऐसा माल या चीजें अभिप्राप्त की थीं, वह सब जानकारी दे दी थी, जो उसकी शक्ति में थी, अथवा
(ग) अन्यथा उसने निर्दोषतापूर्वक कार्य किया था, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
487. किसी ऐसे पात्र के ऊपर मिथ्या चिन्ह बनाना जिसमें माल रखा है– जो कोई किसी पेटी, पैकेज या अन्य पात्र के ऊपर, जिसमें माल रखा हुआ हो, ऐसी रीति से कोई ऐसा मिथ्या चिह्न बनाएगा, जो इसलिए युक्तियुक्त रूप से प्रकल्पित है कि उससे किसी लोक सेवक को या अन्य किसी व्यक्ति को यह विश्वास कारित हो जाए कि ऐसे पात्र में ऐसा माल है, जो उसमें नहीं है, या यह कि उसमें ऐसा माल नहीं है। जो उसमें है, या यह कि ऐसे पात्र में रखा हुआ माल ऐसी प्रकृति या क्वालिटी का है, जो उसकी वास्तविक प्रकृति या क्वालिटी से भिन्न है, जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि उसने यह कार्य कपट करने के आशय के बिना किया है, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो। सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
488. किसी ऐसे मिथ्या चिह्न को उपयोग में लाने के लिए दण्ड– जो कोई अन्तिम पूर्वगामी धारा द्वारा प्रतिषिद्ध किसी प्रकार से किसी ऐसे मिथ्या चिह्न का उपयोग करेगा, जब तक कि वह यह साबित न कर दे कि उसने वह कार्य कपट करने के आशय के बिना किया है, वह उसी प्रकार दण्डित किया जाएगा, मानो उसने उस धारा के विरुद्ध अपराध किया हो।
489. क्षति कारित करने के आशय से सम्पत्ति चिह्न को बिगाड़ना-जो कोई किसी सम्पत्तिचिह्न को, यह आशय रखते हुए, या यह संभाव्य जानते हुए कि वह तद्द्वारा किसी व्यक्ति को क्षति करे, किसी सम्पत्ति-चिह्न को अपसारित करेगा, नष्ट करेगा, विरूपित करेगा या उसमें कुछ जोड़ेगा वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा।
टिप्पणी
के० हाशिम बनाम तमिलनाडु राज्य वाले मामले में यह अभिनिर्धारित किया गया था कि धारा 489-क न केवल कूटरचना के संपूर्ण कृत्य के बारे में है बल्कि इसके अंतर्गत वे मामले भी आते हैं, जिनमें अभियुक्त ‘‘कूटरचना” की प्रक्रिया की कोई भूमिका निभाता है।
करेन्सी नोटों और बैंक नोटों के विषय में
(OF CURRENCY NOTES AND BANK NOTES)
489-क, करेंसी नोटों या बैंक नोटों का कूटकरण-जो कोई किसी करेंसी नोट या बैंक नोट का कूटकरण करेगा, या जानते हुए करेंसी नोट या बैंक नोट के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को सम्पादित करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
स्पष्टीकरण- इस धारा के और धारा 489 ख, 489ग, 489घ और 489ङ के प्रयोजनों के लिए बैंक नोट” पद से उसके वाहक को मांग पर धन देने के लिए ऐसा वचनपत्र या वचनबन्ध अभिप्रेत है, जो संसार के किसी भी भाग में बैंककारी करने वाले किसी व्यक्ति द्वारा प्रचलित किया गया हो, या किसी राज्य या सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न शक्ति द्वारा या उसके प्राधिकार के अधीन प्रचालित किया गया हो, और जो धन के समतुल्य या स्थानापन्न के रूप में उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित हो।
टिप्पणी
धारा 489-क, 489-ख, 489 ग, 489-घ तथा 489-ङ दण्ड संहिता में इसलिये सम्मिलित किया गया है ताकि करेन्सी नोटों और बैंक नोटों के कूटकरण को समुचित सुरक्षा प्रदान किया जा सके। इन धाराओं को सम्मिलित किये जाने के पूर्व नोटों के कूटकरण के अपराध धारा 467, 471 एवं 472 द्वारा नियन्त्रित होते थे।
1. 2005 क्रि० लॉ ज० 143 (सु० को०).
यह धारा, धारा 231 तथा 255 जैसी है। धारा 489-क में करेन्सी नोटों के कूटकरण के विरुद्ध प्रतिबन्ध
745 केवल भारतीय करेन्सी नोटों पर ही नहीं वरन् अन्य देशों की करेन्सी पर भी लागू होता है 2 करेन्सी नोट” पद इतना विस्तृत है कि इसमें किसी भी देश की करेन्सी नोट शामिल हो सकती है। यदि विधानमण्डल का उद्देश्य केवल भारतीय करेन्सी नोटों तक ही इसे सीमित रखना होता तो इस प्रकार की अभिव्यक्ति का प्रयोग किया गया होता। अतएव यदि ”क’ अमेरिकन डालर छापते हुये पकड़ा जाता है तो वह इस धारा के अन्तर्गत अपराधी होगा।
489-ख. कूटरचित कूटकृत करेंसी नोटों या बैंकनोटों को असली के रूप में उपयोग में लाना– जो कोई किसी कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोट या बैंक नोट को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित या कूटकृत है, किसी अन्य व्यक्ति को बेचेगा या उससे खरीदेगा या प्राप्त करेगा या अन्यथा उसका दुव्र्यापार करेगा या असली के रूप में उसे उपयोग में लाएगा, वह आजीवन करावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
टिप्पणी
धारा 489-ख कूटरचित या जाली करेंसी नोट या बैंक नोटों को असली जता कर चलाने के बारे में है। इस धारा को अधिनियमित करने में विधानमण्डल का आशय ऐसे सभी व्यक्तियों को जो यह जानते हुये या विश्वास करने का कारण होते हुये कि वे जाली नोट हैं उनको परिचालित करने में सहयोग करते हैं, उन्हें दण्डित करके जाली नोटों के परिचालन को बंद करना है।
489-ग. कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखना-जो कोई किसी कूटरचित या कूटकृत करेंसी नोट या बैंक नोट को यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित या कूटकृत है और यह आशय रखते हुए कि उसे असली के रूप में उपयोग में लाए या वह असली के रूप में उपयोग में लाई जा सके, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा।
टिप्पणी
यह धारा, धारा 242, 243 तथा 257 के अनुरूप है। कूटरचित या कूटकृत करेन्सी नोटों या बैंक नोटों को कब्जे में रखने से सम्बन्धित है। मात्र कूटरचित नोट को कब्जे में रखना कोई अपराध नहीं है। इस धारा के अन्तर्गत अपराध के लिये केवल यह सिद्ध किया जाना पर्याप्त नहीं है कि अभियुक्त के कब्जे में एक कूटरचित दस्तावेज था अपितु यह भी सिद्ध किया जाना आवश्यक है कि
(क) उसने यह जानते हुये या विश्वास करने का कारण रखते हुये कि नोट कूटरचित है, उसे अपने कब्जे में रखा; तथा ।
(ख) उसका आशय उसे असली के रूप में उपयोग में लाने का था।
धारा 489-ग में प्रयुक्त किसी करेन्सी नोट” पदावली केवल भारतीय करेन्सी नोट तक ही सीमित नहीं वरन् इसमें डालर बिल भी सम्मिलित माना जाता है। यह जानते हुये कि करेंसी नोट जाली है उन्हें कब्जे में रखना या उन्हें लेकर चलाना धारा
489-ग के आवश्यक तत्व हैं। यह धारा केवल भारतीय करेंसी नोटों तक सीमित है।6।।
489-घ, करेंसी नोटों या बैंक नोटों की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपकरण या सामग्री बनाना या कब्जे में रखना– जो कोई किसी मशीनरी, उपकरण या सामग्री को किसी करेंसी नोट या बैंक नोट की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या
2. केरल राज्य बनाम मथाई वर्गीज, 1987 क्रि० लॉ ज० 308 (सु० को०).
3. उपरोक्त सन्दर्भ
4. के० हासिम बनाम तमिलनाडु राज्य, 2005 क्रि० लॉ ज० 143 (सु० को०).
5. इन रि मुहम्मद युसूफ, 1986 क्रि० लॉ ज० 2011 (मद्रास). 6. यथोक्त।
विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह किसी करेंसी नोट या बैंक नोट की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा, या बनाने की प्रक्रिया के किसी भाग का सम्पादन करेगा या खरीदेगा, या बेचेगा, या व्ययनित करेगा, या अपने कब्जे में रखेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
489-ङ करेंसी नोटों या बैंक नोटों से सादृश्य रखने वाले दस्तावेजों की रचना या
उपयोग-(1) जो कोई किसी दस्तावेज को, जो करेन्सी नोट या बैंक नोट होना तात्परित हो, या करेंसी नोट या बैंक नोट के किसी भी प्रकार सदृश हो या इतने निकटतः सदृश हो कि प्रवंचना हो जाना प्रकल्पित हो, रचेगा या रचवाएगा या किसी भी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाएगा या किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा, वह जुर्माने से, जो एक सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा। |
(2) यदि कोई व्यक्ति, जिसका नाम ऐसे दस्तावेज पर हो जिसकी रचना उपधारा (1) के अधीन अपराध है, किसी पुलिस आफिसर को या उस व्यक्ति का नाम और पता, जिसके द्वारा वह मुद्रित की गई थी या अन्यथा रची गई थी, बताने के लिए अपेक्षित किए जाने पर उसे विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना बताने से इन्कार करेगा, वह जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।
(3) जहाँ कि किसी ऐसी दस्तावेज पर, जिसके बारे में किसी व्यक्ति पर उपधारा (1) के अधीन अपराध का आरोप लगाया गया हो, या किसी अन्य दस्तावेज पर, जो उस दस्तावेज के सम्बन्ध में उपयोग में लाई गई हो, या वितरित की गई हो, किसी व्यक्ति का नाम हो, वहाँ जब तक तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जा सकेगी कि उसी व्यक्ति ने वह दस्तावेज रचवाई है।
टिप्पणी
इस धारा को दण्ड संहिता (संशोधन) अधिनियम, 1943 द्वारा निविष्ट किया गया था क्योंकि करेन्सी नोटों एवं बैंक नोटों को छाया मुद्रण (Photo print) एवं इनका अन्य प्रतिरूप अनेक मामलों में परिचलन के रूप में ला दिया गया था, यद्यपि उन्हें निर्दोष प्रयोजनों के लिये ही छापा गया था। यह इसलिये किया गया कि भारत जैसे राष्ट्र में, जहाँ कि अधिकांश जनता अशिक्षित एवं अनभिज्ञ है, इस प्रकार के छाया-मुद्रण एवं प्रतिरूपण को परिचलन में बनाये रखना करेन्सी नोटों की संरक्षा के हित में वांछनीय नहीं है।
Indian Penal Code Offences Relating Document Property Marks Part 2 LLB Notes Study Material
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